भोपाल एक्सप्रेस को जून में मिलेंगे जर्मन तकनीकी से बने आरामदायक रैक

भोपाल,आगामी जून महीने तक भोपाल एक्सप्रेस को आधुनिक एलएचबी रैक (जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश के सहयोग से तैयार आधुनिक कोच) मिल जाएंगे। इसके बाद रेल यात्रियों का सफर और आरामदायक हो जाएगा। इसके लिए चेयरमैन रेलवे बोर्ड अश्विनी लोहानी ने अधिकारियों को दो महीने का समय दिया है। इसके बाद ही रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला और इंट्रीग्रल कोच फैक्ट्री चैन्नई में बन रहे एलएचबी कोच के काम में तेजी आई है। दिसंबर 2017 के आखिरी तक इन कोचों से तैयार रैक मिल जाने थे। बता दें ट्रेन के लिए दो रैक मिलने हैं।अधिकारियों के अनुसार एक रैक का काम 80 फीसदी और दूसरे का काम 50 फीसदी हो चुका है। हबीबगंज से नई दिल्ली के बीच चलने वाली भोपाल एक्सप्रेस को रेलवे राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की तर्ज पर अपडेट कर रहा है। इसी को लेकर जून 2017 के पहले सप्ताह में रेलवे बोर्ड ने ट्रेन के लिए एलएचबी कोच देने की घोषणा की थी।
जुलाई 2017 में 7 कोच मिल गए थे। इनमें से 6 थर्ड एसी और 1 स्लीपर कोच शामिल था लेकिन इसके बाद से कोच नहीं मिले, इसलिए जो कोच मिले थे उन्हें नार्दन रेलवे को वापस भेज दिया गया। बता दें कि भोपाल एक्सप्रेस के लिए कुल 33 कोच मिलने हैं। इनमें से 23 कोच का पहला रैक तैयार किया जाना है जो लाल कलर का होगा। इन कोचों से ट्रेन के चलने की आवाज यात्रियों तक कम पहुंचती है। सेंटर बफर कपलिंग लगी होती हैं, इसलिए दुर्घटना होने पर कोच एकदूसरे पर नहीं चढ़ते। औसत स्पीड 160 से 200 किमी से दौड़ने में सक्षम होते हैं। कोच में एंटी टेलीस्कोपिक सिस्टम के कारण ये पटरी से नहीं उतरते। कोच का साउंड लेवल 60 डेसीबल से भी कम होता है। ट्रेन के चलने की आवाज यात्रियों तक कम पहुंचती है। 5 लाख किमी चलने पर कोच के मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती है। सामान्य कोच को 2 से 4 लाख किमी चलने पर मेंटेनेंस करना पड़ता है। कोच के भीतर एयर कंडीशनिंग सिस्टम होते हैं जो तापमान को नियंत्रित करते हैं। कोच की बाहरी दीवारें सामान्य कोचों की तुलना में अधिक मजबूत होती हैं, हादसों के समय यात्रियों के नुकसान की आशंका कम होती है।

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