100 करोड़ रुपये लेकर चंपत हुआ दिल्ली का ब्रोकर

मुंबई,दिल्ली के एफ6 फिनसर्व का नाम उन स्टॉक ब्रोकर्स की लिस्ट में शामिल किया जाता है, जो पिछले दो साल में अपने ग्राहकों का धन लेकर चंपत हो गए हैं। पिछले सप्ताह कारोबार बंद करके गायब होनेवाले एफ6 फिनसर्व पर सटोरिया गतिविधियों में ग्राहकों के पैसों का इस्तेमाल करने का आरोप है।
इस स्टॉक ब्रोकर पर क्लायंट्स का 100 करोड़ रुपये का बकाया है। एफ6 फिनसर्व के प्रमोटरों पंकज और सुमित गोयल ने कथित तौर पर क्लायंट्स की इजाजत के बिना उनके शेयर बेच दिए हैं और दोनों फिलहाल फरार हैं। इनकी हालिया कारगुजारी का शिकार आइसक्रीम बनानेवाली कंपनी क्वॉलिटी हुई है, जिसका शेयर 26 मार्च से 2 अप्रैल के बीच लगभग 35 फीसदी टूट गया था। एफ6 ने कंपनी के निदेशकों के मालिकाना हक वाले क्वॉलिटी के शेयरों में बड़े पैमाने की बिकवाली की थी। क्वॉलिटी ने स्टॉक एक्सचेंजों में ऐसा डिसक्लोजर दिया है, ‘हमें इन्वेस्टर (डायरेक्टर) ने बताया है कि ब्रोकर एफ6 का पता नहीं चल पा रहा है, वह गायब हो गया है।’
ब्रोकिंग सर्किल में चल रही चर्चा के मुताबिक एफ6 क्लाइंट के पैसों से ऑप्शंस में बड़े दांव लगाता था और उससे आईपीओ के ग्रे मार्केट में भी पर्टिसिपेट करता था। बताया जाता है कि एफ6 अपने पास पड़े निवेशकों के पैसों से जमकर ऑप्शन राइटिंग करता था। फरवरी की शुरुआत में मार्केट गिरने पर उसे इन सौदों में बड़ा नुकसान हुआ था।
पिछले एक साल में कम-से-कम 12 स्टॉक ब्रोकर्स कारोबार बंद कर चुके हैं और उन पर क्लायंट्स के कुल 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के रिपेमेंट पर डिफॉल्ट करने के आरोप हैं। अक्टूबर 2017 में नई दिल्ली की कंपनी आम्रपाली आद्या ट्रेडिंग को एनएसई ने डिफॉल्टर करार दिया था।
इनसे पहले कासा फिनवेस्ट और यूनिकॉर्न भी डिफॉल्ट कर चुकी हैं। एफ6 सहित कुछ ब्रोकर्स अप्रत्यक्ष रूप से नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों की तरह ऑपरेट कर रहे थे। वे ब्रोकिंग अकाउंट खोलकर इन्वेस्टर्स से फंड जुटाते थे, जिनका इस्तेमाल दूसरे क्लायंट्स को फंड देने में करते थे। ब्रोकर्स 18 से 20 पर्सेंट पर मार्जिन फंडिंग करते थे जबकि इन्वेस्टर्स को 12 से 14 पर्सेंट का फिक्स्ड रिटर्न ऑफर करते थे। पिछले साल सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने ब्रोकरों को क्लायंट्स के फंड का दुरुपयोग करने से रोकने के लिए उनके पास पड़े क्लायंट्स के फंड के डेटा हर महीने के अंतिम कारोबारी दिन या अगले कारोबारी दिन रेग्युलेटर के पास भेजना अनिवार्य बना दिया था।

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