भाजपा को झटका,लिंगायत समुदाय के 30 धर्मगुरुओं ने कांग्रेस को समर्थन दिया

बेंगलुरु,कर्नाटक में चुनाव से पहले बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के तौर पर चला गया कांग्रेस का ‘लिंगायत दांव’ कामयाब होता दिख रहा है। पिछले दिनों मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के सुझाव को मंजूरी दी तो प्रदेश ही नहीं देश की सियासत में हलचल मच गई। इस प्रस्ताव पर अभी केंद्र को फैसला लेना है। इस बीच, लिंगायत समुदाय के 30 प्रभावशाली गुरुओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का समर्थन कर दिया है। इसकी मुख्य वजह सिद्धारमैया सरकार द्वारा लिंगायत को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने का फैसला ही है। बता दें कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। पहले यह खेमा बीजेपी के पक्ष में था, लेकिन कांग्रेस सरकार के इस दांव से बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए भी यह बड़ा झटका है क्योंकि हाल ही में उन्होंने कर्नाटक के कई मठों में जाकर लिंगायत समुदाय के गुरुओं से मुलाकात की थी। लेकिन चुनाव से पहले यह फैसला कर्नाटक चुनाव में परिणामों को बदलने की ताकत रखता है। सिद्धारमैया की यह चाल भाजपा के लिए काफी भारी पड़ सकती है। देखना यह हैं कि अब भाजपा के चाणक्य अमित शाह इसका क्या तोड़ निकलते है।
बीजेपी का वोट बैंक रहा है लिंगायत समुदाय
लिंगायत समुदाय 90 के दशक से ही बीजेपी को समर्थन करता आ रहा है। खास बात यह है कि राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 123 पर इस समुदाय का प्रभाव है। चुनाव से ठीक पहले सार्वजनिक तौर पर किसी एक व्यक्ति या राजनीतिक दल को समर्थन देने की घोषणा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कई दशकों में ऐसा नहीं हुआ है। बता दें कि 12 मई को चुनाव होने वाले हैं।
धर्मगुरु माते महादेवी ने मीटिंग के बाद कहा,सिद्दारमैया ने हमारी मांग का समर्थन किया है। हम उनका समर्थन करने की घोषणा करते है। महादेवी का उत्तरी कर्नाटक में काफी प्रभाव है। एक अन्य धर्मगुरु मुरुगराजेंद्र स्वामी ने भी कहा, हम उनका समर्थन करेंगे जिन्होंने हमें सपॉर्ट किया।’ मुरुगराजेंद्र ने बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह को ज्ञापन देकर अलग धर्म की मांग का समर्थन करने को कहा था। यह पूछे जाने पर कि क्या इस फैसले का मतलब कांग्रेस को समर्थन देना है क्योंकि शाह पहले ही कह चुके हैं कि बीजेपी इसके खिलाफ है, इस पर स्वामी ने कहा कि आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं। वहीं, कुदालसंगम मठ (लिंगायत मत के संस्थापक बसवेश्वर की समाधि) के जय मृत्युंजय स्वामी ने कहा, ‘अमित शाह ऐसा बयान देनेवाले कौन होते हैं?’ (लिंगायत से वीरशैव को अलग करने के बारे में) आगामी विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा को एक बार फिर से बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की यही वजह है कि लिंगायत समाज में उनका मजबूत जनाधार है। लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देकर कांग्रेस ने येदियुरप्पा के जनाधार को कमजोर करने की बड़ी कोशिश की है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *