इंदौर,देश की नंबर एक स्मार्ट सिटी में सरवटे स्टैंड पर स्थित एमएस होटल की 50 साल पुरानी तीन मंजिला जर्जर इमारत के अचानक ढ़ह जाने से उसके मलबे में दब तक दस लोगों की मौत हो गई, जबकि अनेक लोग मलबे में दबे हैं। इस हादसे से स्थानीय प्रशासन की आपदा प्रबंधन का अधकचरापन भी खुल कर सामने आ गया। मलबे से घायलों को बाहर निकालने का काम जेसीबी मशीन से कराया गया। जेसीबी मशीन को मलबे के ऊपर चढ़ा कर मलबा हटाया गया, जबकि मलबे में बड़ी संख्या में लोग दबे हुए थे। अगर मलबे के ऊपर जेसीबी मशीन नहीं चढ़ाई गई होती तो कुछ और लोगों की जान बच सकती थी।
हादसे से पहले बेटे से की थी बात
लॉज के मैनेजर हरीश सोनी ने घटना के करीब दस मिनट पहले ही बेटे लकी को फोन किया था। लकी के मुताबिक पिता ने फोन पर कहा कि लॉज की दीवार गिर गई है। इस पर मैंने उन्हें लॉज से बाहर निकलकर खुद को सुरक्षित करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि कुछ लोग दब गए हैं मैं उनको निकालने की कोशिश कर रहा हूं। तुम लोग मत घबराना।
…पहुंचने के पहले सब कुछ खत्म
लकी बहन किरण और अपनी मां लक्ष्मी के साथ जब तक मौके पर पहुंचे, सब कुछ खत्म हो गया था। होटल का मलबा देख वे जार-जार रोने लगे। किरण और लकी पिता हरीश सोनी को तलाश रहे थे। इस बीच लकी ने मलबे के बीच पिता को तलाशने के लिए जाने की कोशिश की। पुलिस ने उसे रोक दिया। रात 12 बजे 70 वर्षीय हरीश सोनी का शव मलबे से निकाला गया।
सख्ती से काम लेता था होटल मालिक
हरीश सोनी की बेटी किरण के मुताबिक हरीश पिछले चार साल से होटल में काम कर रहे थे। होटल का मालिक शंकर परवानी उनसे सुबह से रात तक काम करवाता था। कई बार बोला कि दिन में ड्यूटी करवाओ, लेकिन वह उन्हें कभी छुट्टी नहीं देते थे।
बस स्टैंड का बंद किया गेट
हादसे के बाद सरवटे बस स्टैंड का प्रवेश गेट भी बंद कर दिया गया। इससे बसें स्टैंड में नहीं जा पाईं। यात्रियों को स्टैंड से दूर ही उतार दिया गया। स्टैंड क्षेत्र में जहां हादसे को लेकर अफरातफरी मची थी, वहीं पास की एक बार में लोग शराब पी रहे थे।
मलबे पर चढ़ाई जेसीबी
मलबे पर जेसीबी चढ़ाकर दबे लोगों को निकालने की कवायद
ने शहर में हुए इस हादसे ने आपदा प्रबंधन की भी पोल खोल दी। नगर निगम की रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मलबे में दबे लोगों को बचाने के लिए भेज दिया गया। हालत यह थी कि मलबे में दबे हुए लोगों को निकालने के लिए जेसीबी मलबे पर खड़ी कर दी गई।
वीडियो बनाते रहे तमाशबीन
घटनास्थल पर ज्यादातर लोग मलबा उठाने में मदद करने के बजाए मोबाइल से वीडियो बनाने और फोटो खींचने में व्यस्त रहे। इस कारण बचाव कार्य में बार-बार परेशानी आई। 10 से ज्यादा बार पुलिस ने भीड़ को लाठियां फटकारकर हटाया, लेकिन बार-बार भीड़ मलबे के आसपास जुट जाती थी। रात 12 बजे बाद बेरिकेड लगा दिए गए, ताकि भीड़ के कारण मलबा हटाने का काम प्रभावित न हो।
छा गया था धूल का गुबार
प्रत्यक्षदर्शी पीएससी की तैयारी कर रहे एक छात्र अंकित साहू ने बताया कि वह गुजर रहे थे कि अचानक बिल्डिंग नीचे आ गिरी। पूरा इलाके में धूल का गुबार छा गया। कुछ देर तो समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या। बाद में गुबार हटा और चीख-पुकार मची हो पता चला कि बिल्डिंग धराशायी हो गई है।उधर, इसके मलबे में दबकर दो महिलाओं सहित दस लोगों की जानें गई है जबकि कुछ घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने मृत व्यक्तियों के परिवार को दो-दो लाख और घायल के परिवार को ५०-५० हजार की सहायता की घोषणा की है। घटना के बाद होटल मालिक शंकर परवानी फरार है। उसे पकड़ने कई जगह छापे मारे। कलेक्टर ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के लिए आदेश दिए। उक्त होटल एक पुराने भवन में बने दूसरी और तीसरी मंजिल पर चल रही थी। दुर्घटना के लिए निगम के इंजीनियरों को भी दोषी माना जा रहा है, जिन्होंने जर्जर पुराने भवन में नई मंंजिले बनाने की इजाजत दी।
6 बिन्दुओं पर होगी घटना की जांच
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी निशांत वरवड़े ने सरवटे बस स्टैंड क्षेत्र में भवन गिरने के हुए हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के ओदश दिए हैं। यह जांच अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी (पूर्व क्षेत्र) द्वारा की जाएगी। जांच के बिन्दु भी निर्धारित कर दिये गये है घटना की जांच 6 बिन्दुओं पर होगी जांच के बिन्दु इस प्रकार है। उक्त दुर्घटना का सम्पर्ण व घटना का समय स्थान एवं परिस्थितियों क्या थी, घटना स्थल स्थित भवन में क्या-क्या गतिविधियां संचालित होती थी, उक्त घटना के किन कारणों से हुई है, उक्त घटना के घटित होने के लिये यदि कोई लापरवाही पायी जाती है, तो उक्त के लिये कौन-कौन उत्तरदायी है, भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावत्ति न हों, इस हेतु सुझाव, अन्य कोई बिन्दु जो कलेक्टर एवं जिलादण्डाधिकारी द्वारा जोड़ा एवं ऐसा कोई अन्य बिन्दु जो जांच अधिकारी उचित समझे उक्त घटना की जांच 15 दिवस में पूर्ण कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है।