राज्यसभा की तरह रोचक होगा यूपी विधान परिषद का चुनाव,10 की जगह 11 उम्मीदवार उतार सकती है BJP

लखनऊ, यूपी में कुछ भी होता हैं पूरे देश और मीडिया की नजर यूपी पर लग जाती है। बीते दिनों उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव के बाद अब बारी विधान परिषद चुनाव की है। राज्यसभा चुनाव की तरह इन चुनाव में भी सत्ताधारी बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन सहित सारा विपक्ष आमने-सामने होगा। राज्य के विधानसभा सदस्यों द्वारा चुनी जाने वाली 38 विधान परिषद सीटों से में 13 सीटों पर चुनाव होने हैं। 5 मई को इनमें से 12 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहे हैं और एक सीट पहले से रिक्त है। सपा से अखिलेश यादव,राजेंद्र चौधरी,नरेश उत्तम,उमर अली खान,मधु गुप्ता मसकल गुर्जर और विजय यादव की विधान परिषद का कार्यकाल पूरा हो रहा है। बीएसपी के विजय प्रताप सिंह और सुनील कुमार चित्तौड़,रालोद के चौधरी मुश्ताक,बीजेपी से मोहसिन रजा और महेंद्र कुमार सिंह का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके अलावा सपा से बीएसपी में गए अंबिका चौधरी की खाली सीट पर चुनाव होने हैं। इस तरह से कुल 13 विधान परिषद सीटें खाली हो रही हैं।
बात दे कि सूबे में कुल 100 विधान परिषद सदस्य हैं, इनमें से विधानसभा सदस्यों द्वारा 38 विधान परिषद सदस्यों का चयन होता है। 36 विधान परिषद सीटें ऐसी हैं जो स्थानीय निकाय द्वारा निर्वाचित होती हैं। इसके अलावा 8 सदस्यों का चुनाव शिक्षकों द्वारा और 8 सदस्य स्नातक सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। वहीं10 विधान परिषद सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है। विधायकों द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य हर दो साल पर चुने जाते हैं। विधान परिषद की जिन 13 सीटों का चुनाव है, वो विधायकों द्वारा चुने जाने हैं। बात दे कि कुल रिक्त सीट को कुल विधायकों की संख्या से भाग कर दें, जिसका हासिल आएगा. वही संख्या एक विधान परिषद सदस्य के लिए चाहिए। उत्तर प्रदेश में कुल 402 विधान सभा सदस्य हैं और 13 विधान परिषद सीटों पर चुनाव हैं। इसतरह 402 को 13 से भाग देते हैं तो करीब 31 आता है। इस प्रकार से सूबे की एक सीट के लिए 31 विधायकों के वोट चाहिए।
सूबे की मौजूदा विधानसभा में बीजेपी गठबंधन के पास 324 विधायक हैं। इसके अलावा निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ सपा-बसपा और आरएलडी के बागी विधायकों को मिलाकर 331 का आंकड़ा पहुंचता है। इस गणित के हिसाब से बीजेपी की 10 सीट पर जीत तय है। इसके बाद 21 वोट अतिरिक्त बच सकते है। इस गणित पर राज्यसभा की तर्ज पर भाजपा 11वां उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। सपा-बसपा और कांग्रेस को मिलाकर विपक्ष दो सीटें आसानी से जीत सकता है। इसके बाद भी उसके 9 वोट बच जाने है। इसतरह विपक्ष तीसरा उम्मीदवार उतारता है, तो फिर राज्यसभा चुनाव की तरह से मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। सूबे की 13 विधान परिषद सीटों के चुनाव के लिए अगले महीने अप्रैल में अधिसूचना जारी हो सकती है। दरअसल 5 मई को सदस्यों के कार्यकाल पूरे हो रहे हैं। विधान परिषद चुनाव में विधायक अपना वोट राज्यसभा की तरह पोलिंग एजेंट को दिखाने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। इस कारण क्रॉस वोटिंग होने की ज्यादा संभावना रहती है। इस तरह अगर 13 सीट पर 14 उम्मीदवार मैदान में आते हैं तो सियासी घमासान होना तय है।

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