नई दिल्ली,नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की वकालत करते हुए कहा कि यह राजनीतिक दलों के घोषणा-पत्र का हिस्सा होना चाहिए। हालांकि उन्होंने एसबीआई को इससे अलग रखा है। पनगढ़िया ने कहा कि वर्ष 2019 में सरकार बनाने को लेकर गंभीर राजनीतिक दलों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव अपने घोषणा-पत्र में शामिल करना चाहिए। वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशा के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक के बाद एक घोटाले और कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) ही इनके निजीकरण की पर्याप्त वजह हो सकते हैं। मेरा मानना है कि शायद भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का निजीकरण राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा होना चाहिए। जो भी राजनीतिक दल वर्ष 2019 में सरकार बनाने को लेकर अपने आप को गंभीर उम्मीदवार मानते हैं, उन्हें अपने घोषणा पत्र में यह प्रस्ताव शामिल करना चाहिए। पनगढ़िया से सरकारी क्षेत्र के बैंकों में हाल में सामने आए घोटालों के बारे में सवाल किया था। उन्होंने कहा कि जहां तक दक्षता और उत्पादकता की बात है तो यह समय की मांग है कि सरकार बड़ी संख्या में बैंकों से अपना नियंत्रण समाप्त कर दे।
सरकारी बैंकों का निजीकरण घोषणा-पत्र का हो हिस्सा
