मुंबई, विमानों की सुरक्षा को लेकर मुंबई हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) से यह बताने को कहा है कि उसने ‘प्रैट ऐंड विटनी’ के बने हुए 1100 इंजिनों की हवाई उड़ान की उपयुक्तता की जांच करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. न्यायाधीश नरेश पाटील और जी.एस.कुलकर्णी ने यह भी कहा कि कुछ विमानों को उड़ान भरने से रोक देना या यूरोपियन ऐयर सेफ्टी अथॉरिटी के निर्देशों का पालन करना भर ही इस मामले में काफी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह केंद्र सरकार और डीजीसीए की ड्यूटी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि विमानों को उड़ान भरने से पहले सुरक्षा की दृष्टि से उनका पूरा निरीक्षण कर लिया जाए. उनका कहना था कि यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए यह जरूरी है और उनका भरोसा तभी बना रह सकता है. खंडपीठ ने सवाल किया, ‘क्या आप केवल दिशा-निर्देशों और प्रमाणपत्र से चल रहे हैं या आपने स्वयं का कोई अध्ययन किया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सारे इंजिन उड़ान के लिए उपयुक्त हैं. आपका काम केवल कुछ उड़ानों को रोकना भर नहीं है. यह आपकी ड्यूटी और उत्तरदायित्व है कि आप देश के लोगों का सुरक्षा के प्रति भरोसा बनाए रखें.’ बता दें कि इन इंजिनों का उपयोग ए320 नियो विमानों में होता है. ऐसे विमानों की उड़ान पर रोक लगा दी गई है. हाईकोर्ट ने आगे कहा, ‘आपको यह प्रचार-प्रसार करना होगा कि आपने इंजिनों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं और जब तक उनकी सुरक्षा पक्की नहीं हो जाती, आप उन इंजिनों का उपयोग नहीं करेंगे. यात्रियों के सवालों का जवाब देने के लिए व्यवस्था करें और अशांत यात्रियों को शांत करें.’ कोर्ट को यह टिप्पणी तब करनी पड़ी जब इंडिगो एयरलाइंस के वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास ने हाईकोर्ट को बताया कि एयरलाइन्स सभी प्रभावित विमानों की जगह नए और बेहतर इंजिन ला रही है लेकिन लोगों में मनोवैज्ञानिक डर बैठा हुआ है. वे यह पूछ रहे हैं कि क्या उनके विमानों में पीऐंडडब्ल्यू इंजिन है? उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि डीजीसीए यात्रियों को सही स्थिति नहीं बता नहीं पा रहा है. मालूम हो कि हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की है जो एक नागरिक हरीश अग्रवाल ने दायर की है.