जीत का समीकरण तो नहीं बदल देगी गोरखपुर-फूलपुर में कम वोटिंग!

लखनऊ,उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दो सीटों पर रविवार को वोटिंग हो चुकी है। गोरखपुर में बीजेपी अपनी जीत तय मानकर चल रही थी, क्योंकि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि है। लेकिन कम वोटिंग ने अब पार्टी में संशय पैदा कर दिया है। वहीं फूलपुर संसदीय सीट को लेकर बीजेपी को पहले से ही बसपा समर्थित सपा उम्मीदवार से कड़ा मुकाबला दिख रहा था। अब कम वोटिंग के बाद सत्ताधारी बीजेपी की बेचैनी और बढ़ गई है। वहीं, 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का हाथ मिलाने वाले सपा-बसपा की सांसें भी रुकी हुई हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश के फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव को 2019 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यहां मतदान हो चुका है। नतीजे 14 मार्च को आएंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में गोरखपुर में 7.24 और फूलपुर में 12.4 फीसदी वोटिंग कम हुई है। गोरखपुर को बीजेपी का मजबूत दुर्ग माना जाता है। 1989 से यह सीट उसी के पास है। यहां से पांच बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा की अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। यहां उपचुनाव में 47.4 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि 2014 में यहां 54.64 फीसदी वोट पड़े थे। यह कम वोटिंग बीजेपी को डरा रही है। 2014 में कुल 10 लाख 40 हजार 199 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। तब योगी को पांच लाख 39 हजार 127 वोट मिले थे। सपा उम्मीदवार राजमति निषाद को दो लाख 26 हजार 344 वोट मिले थे, वहीं बसपा प्रत्याशी राम भुअल निषाद को एक लाख 76 हजार 412 वोट, जबकि कांग्रेस को महज 45 हजार 719 वोट मिले थे। योगी ने इस सीट को 3 लाख 12 हजार 783 वोटों से जीत दर्ज किया था। अगर विपक्ष के वोट बंटते नहीं तो योगी मुश्किल से जीत पाते। अबकी बार सपा-बसपा ने यह चुनाव मिलकर लड़ा है, इसलिए भाजपा का डर गलत भी नहीं है।

 

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