नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने बदजुबानी के लिए नेताओं को कड़ी फटकार लगाते हुए संवैधानिक पदों पर बैठे प्रतिनिधियों को अच्छी भाषा प्रयोग करने की नसीहत दी। अदालत ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे प्रतिनिधि भले ही दूसरी पार्टी के क्यों न हों, उनके लिए सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करें। सीलिंग के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों में नेताओं की बयानबाजी को लेकर कोर्ट ने अपना कड़ा रुख दिखाया। जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विपक्षी दलों के नेताओं की भाषा पर खासी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा कि अपमानजनक भाषा को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जो संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, उनके प्रति कुछ तो सम्मान दिखाएं। आप लोगों से कह रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री के खिलाफ जो भी चाहे कह सकते हैं, क्योंकि वह आपकी पार्टी के नहीं हैं। ऐसा कहकर आपने एक संस्था की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। कोर्ट ने कहा, आज ऐसा किसी एक सीएम के खिलाफ हो रहा है, कल ऐसा किसी दूसरे राज्य के सीएम के भी साथ हो सकता है। फिर ऐसी ही भाषा का प्रयोग देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ भी होगे। हम प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के अपमान को बढ़ावा नहीं दे सकते। बता दें कि कोर्ट ने एक वीडियो देखने के बाद यह तीखी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने एक क्लिप देखी, जिसमें बीजेपी एमएलए ओपी शर्मा और म्युनिसिपल काउंसलर गुंजन गुप्ता सीलिंग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उसमें ये दोनों लोगों को केजरीवाल पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। कोर्ट ने दोनों के खिलाफ अवमानान नोटिस जारी कर उन्हें पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने वीडियो देखने के बाद यह माना कि दोनों बीजेपी नेताओं पर अवमानना का केस नहीं बनता। लेकिन सर्वोच्च अदालत ने बीजेपी नेताओं द्वारा प्रयोग की गई भाषा को लेकर नाराजगी जाहिर की और बेहद तल्ख शब्दों का भी प्रयोग किया।