उद्यानिकी विभाग ने बनाए नियम गोदामों में प्याज भंडारण करेंगे तो मिलेगा भावांतर का लाभ

भोपाल, प्रदेश के प्याज उत्पादक किसानों की एक बार फिर फजीहत होने वाली है। इसके लिए जिम्मेदार होंगे उद्यानिकी विभाग द्वारा बनाए गए नियम। नए नियमों में शर्त रखी गई है कि उन्हीं किसानों को भावान्तर योजना का लाभ मिलेगा जो गोदामों में प्याज का भंडारण करेंगे। साथ ही किसानों का भुगतान का इंतजार प्याज के नीलाम होने तक करना होगा। प्लान यह भी कि करीब पांच लाख मीट्रिक टन प्याज को ही भावान्तर योजना के दायरे में लाया जाएगा जबकि राज्य में उत्पादन क्षमता करीब 38 लाख मीट्रिक टन है। यानि 80 प्रतिशत प्याज योजना से बाहर रहेगी। पहली बार करीब पांच लाख मीट्रिक टन प्याज का भंडारण होगा। इसमें तीन लाख मीट्रिक टन सरकार की मदद से किसानों द्वारा बनाए गए गोदामों में और दो लाख मीट्रिक टन मप्र वेयर हाउस के गोदामों में भंडारण होगा।
गोदाम फुल होने पर किसानों का प्याज भंडारित नहीं किया जाएगा। वहीं किसानों को समर्थन मूल्य का पचास प्रतिशत से अधिक अंतर राशि नहीं मिलेगी। किसान को गोदाम में प्याज का भंडारण कराने आन लाइन पंजीयन कराना होगा। सरकार, किसान को चार माह तक प्याज रखने का किराया देगी। गोदाम में रखी प्याज प्रदेश की 172 मंडियों के माध्यम से नीलाम होगी। नीलामी के बाद कीमत में जो अंतर आएगा उसकी भरपाई सरकार करेगी लेकिन पचास प्रतिशत से अधिक नहीं। किसान को अंतर की राशि तभी मिलेगी जब वह भंडारण की रसीद दिखाएगा। सरकार की मंशा है कि इस व्यवस्था से अन्य राज्यों की प्याज नहीं आएगी। अब सवाल यह उठता है कि प्याज भंडारण की व्यवस्था (गोदाम) किसानों के पास होती तो फिर वे प्याज औने-पौने दामों पर बेचने को तैयार क्यों होते। यह जानते हुए भी उद्यानिकी विभाग ने प्याज उत्पादक किसानों से पीछा छुडाने के लिए नए नियमों में ऐसी शर्ते जोड दी है।

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