भोपाल, हरित क्रांति के बाद फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र निवेश और रोजगार की दृष्टि से देश का अगला बड़ा क्षेत्र है. यद्यपि विश्व मानकों को अपनाने के मामले में – खासकर जल्द नष्ट होने वाले उत्पाद- फूड प्रोसेसिंग उद्योग अभी बहुत पीछे है.
फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र उत्पादों के नष्ट होने से होने वाले नुकसान से बचने के अवसर के साथ साथ लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार देने का मौका भी प्रदान करता है. भारत सरकार ने इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत सीधे विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है जिसके चलते आने वाले समय में इस क्षेत्र में बड़ा निवेश आएगा.
उक्त आशय की बात आज होटल पलाश में पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज द्वारा आयोजित मेक इन इण्डिया एण्ड एफडीआई इन रिटेल फूड प्रोसेसिंग ओपनिंग ब्राइट एवन्यूज फॉर फूड प्रोसेसिंग विषय पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न शहरों से आए विषय विशेषज्ञों ने कही. सम्मेलन के मुख्य अतिथि विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि हम प्रदेश के किसानों को फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र का लाभ दिलाने के लिए विभिन्न विभागों तथा वित्तीय संस्थानों से सतत संपर्क कर प्रयासरत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र से जुडक़र किसान खेती को लाभ के सौदे में तब्दील कर सकते हैं.
सम्मेलन के आरंभ में पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के रीजनल डायरेक्टर आर जी द्विवेदी ने अपने स्वागत भाषण में सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा इस क्षेत्र से जुड़े रोचक तथ्य प्रस्तुत किए.
फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में मौजूद अवसरों के बारे में चर्चा करते हुए हॉर्टिकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग विभाग के अतिरिक्त संचालक ए के खरे ने कहा कि देश के गांवों में रह रही 58 फीसदी आबादी आज भी खेती पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर है. इसी आबादी की आमदनी को मेक इन इंडिया के तहत वर्ष 2020 तक दुगना करने पर जोर दिया गया है. उन्होंने अपने उद्बोधन में कोल्ड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योगों की स्थापना के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं तथा सुविधाओं की जानकारी भी दी. नाबार्ड की सहायक महाप्रबंधक शैली जामुअर ने कहा कि हम खाद्य पदार्थों के दूसरे बड़े उत्पादक हैं तथा एग्रीकल्चर कमोडिटी के मामले में हम अग्रणी स्थान रखते हैं. उन्होंने कहा कि नाबार्ड फूड प्रोसेसिंग इकाई स्थापित करने के लिए योजनाएं संचालित कर रहा है जिनके तहत वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है.