नई दिल्ली, निजी अस्पतालों को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। इसमें पता चला है कि ये अस्पताल दवाओं और जांचों में 12 सौ प्रतिशत तक का मुनाफा कमा रहे हैं। यह खुलासा नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीएए) ने किया है। उसने इस शोध के लिए दिल्ली और एनसीआर के चार बड़े नजी अस्पतालों के बिलों की जांच की थी। बता दें कि अस्पताल में भर्ती हुए किसी मरीज का जो कुल बिल बनता है, उसमें 46 प्रतिशत खर्च दवाई और जांचों पर हुआ होता है। मंगलवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा फायदा दवाई बनाने वालों का नहीं, बल्कि अस्पतालों का ही होता है। एनपीएए के मुताबिक, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि निजी अस्पताल कंपनियों से कहकर दवाओं पर ज्यादा दाम छपवाते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अस्पताल ज्यादातर ऐसी दवाइयां लिखते हैं, जो कि उनकी खुद की या पहचान वाली फार्मेसियों द्वारा ही बनाई जाती है। ऐसे में मरीज और उनका परिवार ये दवाइयां कहीं और से नहीं ले पाते। अस्पताल फार्मेसियों पर दबाव भी बनाते हैं कि वे अपनी दवाओं पर असल कीमत से ज्यादा की एमआरपी लिखें। तब ही वे बहुत सारी दवाओं का स्टॉक खरीदते हैं। एनपीएए ने यह जांच इसलिए की, क्योंकि पिछले दिनों निजी अस्पतालों पर ज्यादा बिल वसूलने के आरोप लगे थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोई सूई अगर अस्पताल को 5.77 रुपए की पड़ रही होती है, तो उसे अस्पताल मरीज को 106 रुपए में देता है। इससे उसका मुनाफा 1,737 प्रतिशत तक का हो जाता है।
दवाओं पर 12 सौ प्रतिशत तक का मुनाफा कमा रहे हैं निजी अस्पताल
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