जोहान्सबर्ग,दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ुमा ने इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने टेलिविजन पर प्रसारित संबोधन में अपने इस्तीफ़े की घोषणा की। इसके पहले जुमा की पार्टी एएनसी ने उन्हें पद छोड़ने या फिर गुरुवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को कहा था। पिछले कुछ समय से 75 वर्षीय ज़ुमा पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा था। उन्हें उपराष्ट्रपति सिरिल रामापोसा के लिए जगह खाली करने को कहा जा रहा था। साल 2009 से सत्ता में रहे ज़ुमा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। इस्तीफे के ऐलान के पहले राष्ट्र के नाम दिए गए अपने 30 मिनट के संबोधन में 75 वर्षीय जुमा ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के रवैये से असहमति जताई और कहा कि दिसंबर में हुए चुनावों में सिरिल रमफोसा के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के लिए एएनसी ने गलत रुख अपनाया।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से एएनसी ने उनके साथ बर्ताव किया, वह उन्हें ठीक नहीं लगा। ज़ुमा ने कहा उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का कोई भय नहीं है। ज़ुमा ने कहा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों की अपनी क्षमता के मुताबिक भरपूर सेवा की। ज़ुमा ने कहा कि हिंसा और एएनसी में विभाजन की वजह से उन्होंने पद छोड़ने का फ़ैसला किया। गौरतलब है कि राष्ट्रपति जैकब जुमा से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में दक्षिण अफ्रीकी पुलिस ने बुधवार को उनके नजदीकी गुप्ता परिवार के भव्य आवास परिसर में छापा मारा। सत्तारूढ़ अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) ने जुमा पर राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए दबाव बढ़ा दिया था। पार्टी ने कहा है कि इस्तीफा न देने पर जुमा के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। धमकियों के बावजूद निडर जुमा ने बुधवार को इस्तीफा देने से इन्कार कर दिया था।
इससे पहले एक साक्षात्कार में 75 वर्षीय राष्ट्रपति ने कहा पार्टी ने उन्हें इस्तीफा देने का कोई कारण नहीं बताया। यह मुद्दा उठाया जाना उचित नहीं है। किसी ने भी कारण नहीं बताया है। कोई भी यह नहीं बता रहा है कि मैंने किया क्या है। गुप्ता परिवार के चार भाइयों के आवास पर छापे में पुलिस ने कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं। भारतीय मूल के इस परिवार पर जुमा के साथ मिलकर आर्थिक अनियमितता का आरोप है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने वाली पुलिस की खास इकाई ‘हॉक्स’ के प्रवक्ता हंगवानी मुलौजी ने कहा है कि छापेमारी की कार्रवाई जांच का हिस्सा थी।
गुप्ता परिवार पर कार्रवाई को जुमा पर दबाव बढ़ाने का एक तरीका माना जा रहा है। इसके माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि देश के संसाधनों का अवैध ढंग के कब्जा करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। कई दिन इंतजार के बाद मंगलवार को सत्तारूढ़ एएनसी ने जुमा को राष्ट्रपति पद छोड़ने का आदेश दिया था। इसके लिए उन्हें कोई समय सीमा नहीं दी गई, लेकिन यह साफ कर दिया गया था कि जुमा के इस्तीफा न देने पर पार्टी बुधवार को बड़ा फैसला कर सकती है। वैसे विपक्ष ने पहले ही जुमा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे रखा है।