15 साल पहले दिए थे पट्टे,अब बता रहे अपात्र S/C & S/T को दिए कारण बताओ नोटिस

अशोकनगर,खेत मजदूर एवं कृषि हीन मजदूरों को शासन द्वारा वर्ष 2003 में शासकीय भूमि पर काबिज होने के पट्टे दिए गए थे। जिनको अपात्र बताते हुये कलेक्टर द्वारा पट्टेधारी s/c एवं s/t को कारण बताओ नोटिस थमाए गए हैं।
जिसको लेकर आदिवासी समाज के ग्रामीण कलेक्ट्रेट में अपने नोटिस लेकर पहुंचे। मुंगावली तहसील के अन्तर्गत आने वाले ग्राम खोरीवरी निवासी दोजा पुत्र सुखलाल चमार ने बताया कि आज से 15 साल पहले जब उनके पास कोई भूमि नहीं थी। तब शासन द्वारा उन्हे एक हेक्टेयर का पट्टा दिया था। दोजा ने बताया कि वर्तमान में उनका परिवार उसी पट्टे की भूमि पर निवास कर रहा हैं। लेकिन अब कलेक्टर द्वारा हमें अपात्र बताते हुये नोटिस भेज दिया है। डोंगरा निवासी नंदलाल पुत्र बारेलाल, मुआती निवासी मरुआ पुत्र गनेशा हरीजन ने बताया कि 2003 में उन लोगों के पट्टे वितरण किये गए थे, जिनके पास में बिल्कुल भी जमीन नहीं है और वह भूमि हीनों की श्रेणी में आता है। प्रत्येक भूमि हीन को 5 वीघा जमीन का पट्टा दिया था और अब कलेक्टर द्वारा हम भूमि हीनों के पास भूमि बताकर हमे हमारी पट्टे की जमीन से बेदखल किया जा रहा है। गढ़ला निवासीचन्द्रभान पुत्र मानसिंह हरीजन ने बताया कि नोटिस में लिखा है कि जो पट्टे पूर्व में वितरित किये गए थे वह गलत तरीके से किये गए थे। कलेक्टर द्वारा सभी पट्टे धारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गए थे। जिसका जबाव 30 जनवरी तक मांगा था और सभी पट्टेधारियों को कलेक्ट्रेट में बुलाया गया था। लेकिन किन्ही कारणों के चलते सुनवाई नहीं हुई थी इसलीए तारीख बढ़ा दी गई थी। बुधवार को बड़ी संख्या में मुंगावली, पिपरई और बहादुरपुर क्षेत्र के आदिवासी नोटिस लेकर कलेक्ट्रेट आए हुए थे। गरीब आदिवासी परिवारों ने बताया कि हम 15 साल से उक्त जमीन पर रहे हैं और अब एक दम से हमें अपात्र बताते हुये नोटिस थमा दिया गया। जबकि हमारे पास कोई निजी जमीन नहीं हैं। प्रशासन द्वारा हम गरीबों हमारे ही पट्टों से बेदखल किया जा रहा है।
तहसीलदार ने वरती अनियमित्ताएं: हरीजन एवं आदिवासी समाज के लोगों का दिए गए नोटिस में बताया गया है कि अनुविभागीय अधिकारी मुंगावली द्वारा तहसीलदार के उपरोक्त प्रकरण का परीक्षण कर प्रकरण में तहसीलदार द्वारा वैधानिक अनियमित्ताएं की जाने के कारण राजस्व पुस्तक परिपत्र 4-3 की कण्डिका 30 क के अन्तर्गत प्रकरण स्वयं जांच में लिया गया है एवं तहसीलदार मुंगावली द्वारा वर्ष 2003 में पारित आदेश अवेध बताया गया है।

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