शोपियां फायरिंग: सेना ने पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज कराई प्राथमिकी

श्रीनगर,जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सेना की फायरिंग प्रकरण में अब सेना ने भी जवाबी एफआईआर दर्ज कराई है। इस फायरिंग के दौरान तीन नागरिकों की मौत के बाद 10 गढ़वाल राइफल के सैनिकों को जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर में आरोपी बनाये जाने के बाद सेना ने यह कदम उठाया है।
शनिवार को इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी, जिसमें आर्मी के मेजर की अगुवाई वाले 10 गढ़वाल राइफल के सैनिकों को आरोपी बनाया गया है।
पुलिस ने रविवार को जवानों के खिलाफ हत्या (302) और हत्या की कोशिश (307) का केस दर्ज किया था। इस बीच 27 जनवरी को हुई फायरिंग में मरने वालों की संख्या तीन हो गई है। बुधवार को अस्पताल में इलाज के दौरान जख्मी एक और नागरिक ने दम तोड़ दिया।
इस मसले पर राज्य में सत्ताधारी गठबंधन पीडीपी और बीजेपी के बीच भी तनातनी देखी जा रही है। बीजेपी इस एफआईआर को वापस लेने की मांग कर रही है, जबकि पीडीपी ने इसे खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जांच को तार्किक नतीजे तक पहुंचाया जाएगा।
इस बीच सेना की उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अन्बु ने इस मामले पर कहा, ‘हमारा रुख इस बारे में बिल्कुल साफ है कि अगर उकसावे वाली कार्रवाई होती है, तो आत्मरक्षा के लिए हम जवाब देंगे।’ पहले ही सेना के बड़े अधिकारियों ने इस मामले में मेजर लीतुल गोगोई की तरह एफआईआर के घेरे में आए सैनिकों का साथ देने का फैसला किया है। मेजर गोगोई के मामले में विवाद के जरिए सवाल उठाने की कोशिश की गई थी, लेकिन ताजा मामले में किसी तरह का कोई संदेह नहीं है। शोपियां में किसी भी मानक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल अन्बु ने कहा, ‘इस केस में एफआईआर की कोई जरूरत नहीं थी। अब जांच के बाद सच सामने आ जाएगा। शोपियां में फायरिंग सिर्फ सेल्फ डिफेंस के लिए की गई।’ जनरल अन्बु ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस केस में कोई गिरफ्तारी नहीं होगी, लेकिन मेजर आदित्य से पूछताछ की जा सकती है।
ज्ञात रहे कि शनिवार को 10 गढ़वाल राइफल्स का 40-50 सैनिकों का काफिला मूवमेंट के लिए बालपुरा से अन्य ठिकाने के लिए निकला था। रास्ते में केलर में पत्थरबाजी चल रही थी, सो काफिले ने गनापुरा का दूसरा रूट ले लिया। गनापुरा में कट्टरपंथियों का बड़ा जमावड़ा है। वहां हाल में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी फिरदौस के मारे जाने के बाद से तनाव था।
स्थानीय लोगों को जैसे ही सेना के काफिले के मूवमेंट का पता चला तो करीब 100 लोग पत्थरबाजी के लिए जुट गए। इस बीच सेना के काफिले की 4 गाड़ियां एक मोड़ पर टर्न लेने की जगह 100 मीटर आगे बढ़ गईं, जहां से वापसी के दौरान रफ्तार धीमी होने से चारों गाड़ियां घिर गईं। सेना के जेसीओ ने भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन पत्थरबाजी जारी रही। इस बीच एक पत्थर लगने से जेसीओ बेहोश होकर गिर गया। इसके बाद तीन से चार हवाई फायरिंग कर पत्थरबाजी कर रहे लोगों को चेतावनी दी गई। भीड़ और सैनिकों के बीच फासला जब महज 10 मीटर का रह गया तब एक सैनिक ने फायरिंग की। सूत्रों का कहना है कि यह अचानक हालात देखकर लिया गया फैसला था, जिसमें मेजर की कोई भूमिका नहीं थी।

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