इलाज के लिये भटक रहे बीमार बच्चे,नहीं खुल पाया DAIC सेंटर

अशोकनगर,बीमार बच्चों को एक ही छत के नीचे इलाज की सुविधा मिले इसके लिये शासन द्वारा डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेशन सेंटर (डीएआइसी) खोलने की मंजूरी दी है। इस सेंटर पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चिन्हित गंभीर बीमार बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल के डॉक्टरों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। यही नहीं समय पूर्व पैदा होने वाले बच्चों को भी इलाज की विशेष सुविधा मिलेगी। लेकिन जिला स्तर पर इस योजना का लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा है।
शासन द्वारा दिसम्बर 2017 में आदेश जारी किए गये थे कि जिला स्तर पर डीएआइसी सेंटर खोला जाए। जिससे समस्थ विकासखण्डों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत कार्यरत मोबाईल हेल्थ टीम द्वारा उपचार हेतु रिफर किये गए बच्चों का उपचार जिला स्तर पर डीएआईसी में पंजीयन उपरांत किया जा सके। शासन के आदेश पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा 17 जनवरी 2018 को सिविल सर्जन को पत्र लिखकर जिला चिकित्सालय परिसर में चार कमरों की जगह उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। जिससे कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत डीईआसी सेंटर प्रारंभ किया जा सके। मगर सिविल सर्जन द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया गया और अभी तक सेंटर खोलने के लिये जगह उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसके कारण अभी तक डीएआइसी सेंटर का निर्माण नहीं हो सका है। सेंटर न होने के कारण बच्चों को सही से सुविधायें नहीं मिल पा रहीं हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि लेटर का जबाव न मिलने के कारण काम शुरु नहीं हो सका है। दूसरी बार भी लेटर जारी किया जा रहा है।
क्या है डीएआइसी:
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीएआइसी) शुरू होने से जिले के उन गरीब बच्चों को भी उपचार मिल सकेगा, जो पैसों के अभाव में पूरी जिंदगी परेशानी झेलते हैं। सेंटर पर उन बच्चों का इलाज हो सकेगा, जो किसी बीमारी की चपेट में आने से शारीरिक विकलांगता का शिकार हो रहे हैं। अगर शुरू में ही इस बीमारी के बारे में पता चल जाए तो बच्चा ठीक हो सकता है। जैसे कई बार बच्चा पैदा होता है तो किसी न किसी कारण से उसके पैरों में फर्क दिखता है। डीएआइसी शुरू होने से उन बच्चों को विशेष लाभ होगाए जो धनाभाव में प्राइवेट अस्पतालों में उपचार नहीं करा पाते हैं। कई बच्चों के होंठ कटे होते हैं या कान और गले में परेशानी होती है। जो भी बच्चा सेंटर में भर्ती होता है उसका उपचार मुफ्त में किया जाता है। सेंटर में डाइटिशियन, फिजियोथेरपिस्ट, ईएनटी सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ की टीम होगी।
सात टीमें कर रहीं स्कूलों का भ्रमण:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 7 टीमें स्कूलों में भ्रमण कर रहीं हैं। जो शासकीय स्कूलों में पहुंचकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती हैं एवं बीमार बच्चों का चिन्हांकन करने के बाद जो बच्चे गंभीर बीमारियों से पीड़ित मिलते हैं, उन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया जाता है। इसके साथ ही हृदय रोग, कानों से कम सुनाई देना जैसी अन्य बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज कराने के लिये शासन अपने स्तर से पैसा खर्च कर उपचार कराती है। इस सेंटर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों और दवा का स्टॉक की सुविधा अलग से रहेगी। लेकिन योजना के प्रचार-प्रसार में कमी और क्षेत्र के लोगों को जानकारी न होने के कारण बच्चे सही से लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
40 बच्चों को मिल चुका है लाभ:
वर्ष 2017 में हृदय रोग से पीढ़ित करीब 35 बच्चों की सर्जरी शासन द्वारा कराई गई थी। वहीं 5 बच्चों का कान का उपचार करवाया गया था। जिनकी उम्र 18 के आसपास की थी। कुल 40 बच्चों को योजना का लाभ मिला था। अगर यह सेंटर जिला अस्पताल में खोला जाता है तो इसका लाभ काफी बच्चों को मिलने लगेगा।
इनका कहना:
सिविल सर्जन को पत्र जारी कर चार कमरे की जगह की अनुमति मांगी गई थी। लेकिन अभी तक उनके द्वारा कोई जबाव नहीं भेजा गया है। मैं भी जिला अस्पताल जगह देखने के लिये गया था। लेकिन ऐसा लगा कि वह जगह देने के लिये कॉपरेट नहीं कर रहे हैं। फिर से लेटर जारी किया जा रहा है।
डॉ. त्रिवेदिया, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

 

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