नई दिल्ली, राहुल गांधी को बतौर कांग्रेस अध्यक्ष इस साल कई चुनावी परीक्षाएं देनी होंगी। उनके सामने भाजपा शासित राज्यों को छीनने से बड़ी चुनौती अपनी पार्टी शासित राज्यों को बचाने की है। उत्तराखंड और हिमाचल के हाथ से निकल जाने के बाद अब कर्नाटक और मेघालय को बचाने की जिम्मेदारी उन पर है। फरवरी में त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से मेघालय में कांग्रेस की सरकार है और यहां पार्टी पर सत्ता बचाए रखने का दबाव है। हालांकि पार्टी कर्नाटक को लेकर ज्यादा सतर्क दिख रही है। पार्टी कर्नाटक सरकार के कामकाज को लेकर देश में संदेश देना चाहती है। राहुल ने पार्टी नेताओं से ऐसा घोषणा पत्र तैयार करने को कहा है, जिसका एजेंडा समाज से जुड़े विभिन्न वर्गों से बातचीत पर आधारित हो। वह खुद भी व्यापारियों, युवाओं, महिलाओं और प्रबुद्ध वर्ग से बात करेंगे। गुजरात चुनाव में राहुल के निशाने पर भाजपा थी लेकिन कर्नाटक में वह अपना फोकस अपनी सरकार की उपलब्धियों और कामकाज पर रखेंगे। उनके भाषणों में जमीनी टच और मुद्दों पर काम बीते एक महीने से वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली की टीम कर रही है। हाल में कर्नाटक सरकार की ओर से शुरू की गई कुछ योजनाएं और फैसले इसी रणनीति का हिस्सा हैं जिसमें जन भागीदारी बढ़ाने वाले कार्यक्रम शामिल हैं। कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल (एस) भी खुद को मुकाबले में बनाए हुए है। 224 सीटों वाली विधानसभा में उसने 2013 में 40 सीटें जीती थी। कांग्रेस इस बार भी अकेले चुनाव लड़ रही है लेकिन बदले राजनीतिक माहौल और समीकरण में देवगौड़ा की पार्टी पर भी उसकी नजर रहेगी। राज्य के कांग्रेसी नेता बहुमत पाने का दावा कर रहे हैं लेकिन देवगौड़ा से दूरी भी नहीं बढ़ाना चाह रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मेघालय में म्यूजिकल नाइट के जरिए पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। प्रदेश कांग्रेस ने 30 जनवरी को इसका आयोजन किया है। इसमें देशभर के मशहूर म्यूजिकल बैंड शिरकत करेंगे। यह कार्यक्रम दो घंटे तक चलेगा। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष स्थानीय लोगों से मुलाकात व बातचीत करेंगे।