रोशनी से जगमग होगा एलिफेंटा टापू

मुंबई, मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से 10 किलोमीटर दूर स्थित एलिफेंटा गुफा हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। आजादी के 70 साल बाद विश्व धरोहर में शामिल एलिफेंटा केव्स अब बिजली की रोशनी से जगमग होगा। महावितरण घारापुरी टापू और एलिफेंटा गुफा तक बिजली पहुंचाने में कामयाब रहा है। एलिफेंटा केव्स में कुल सात गुफाएं हैं। मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों में उकेरा गया हैं। पहाड़ियों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियां दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। इसका ऐतिहासिक नाम घारपुरी है। यह नाम मूल नाम अग्रहारपुरी से निकला हुआ है। एलिफेंटा नाम पुर्तगालियों द्वारा यहाँ पर बने पत्थर के हाथी के कारण दिया गया था। यहां भगवान शंकर की नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं, जो शंकर जी के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दिखाती हैं। इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है।
एलिफेंटा गुफा तक बिजली महावितरण ने पहुंचाई है। इस कार्य का जायजा लेने के लिए सूबे के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले एलिफेंटा टापू पहुंचे। घारापुरी द्वीप के 950 लोगों तक बिजली पहुंचने से बड़े पैमाने पर पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
राज्य सरकार ने घारापुरी द्वीप विकास करने की जिम्मेदारी मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) को सौंपी थी। एमएमआरडीए ने महावितरण को द्वीप पर पांरपरिक तरीके से बिजली आपूर्ति करने के लिए अनुमानित खर्च की जानकारी देने को कहा था। इस संबंध में महाराज्य राज्य बिजली वितरण कंपनी के भांडुप परिमंडल ने समुद्र तल से केबल सहित घारपुरी द्वीप तक विद्युतीकरण करने के लिए लगने वाली सामग्री का कुल 21 करोड़ रुपए का प्रस्ताव एमएमआरडीए को भेजा था। इसमें से 18 .5 करोड़ रुपए के खर्च की मंजूरी मिली थी। विद्युतीकरण के प्रमुख कार्यों में 22 केवी, सिंगल कोर केबल समुद्र तल में 7 किलोमीटर तक डाले गए। इसकी सफलता जांच भी की जा चुकी है। समुद्र में केबल डालने के लिए प्लाऊ तकनीक का उपयोग किया गया।

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