भोपाल,ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में फंसी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर गई है। मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद अरविंद केजरीवाल के मुश्किलें बढ़ गई है। केजरीवाल के बाद अब शिवराज सरकार पर भी संकट आ सकता है। मध्यप्रदेश के 116 विधायकों पर भी लाभ के पद पर होने का आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर ‘आप’ चुनाव आयोग से शिकायत करेगी।
आप पार्टी ने 4 जुलाई 2016 को राज्यपाल के माध्यम से चुनाव आयोग को शिकायत की थी। आप का कहना है इस मामले में अभी तक जवाब नहीं आया है। आप की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को नोटिस देकर इन 116 विधायकों को स्कूल और कॉलेज की जनभागीदारी समितियों में नियुक्त किए जाने से संबंधित अधिसूचना की कॉपी जनभागीदारी समिति के सदस्य होने के एवज में मिल रही सरकारी सुविधाओं की जानकारी देने को कहा था। इन 116 विधायकों में तीन कैबिनेट मंत्री अर्चना चिटनिस,जयभान सिंह पवैया और रुस्तम सिंह भी शामिल हैं। शिकायत के मुताबिक 116 विधायक राज्य भर के कॉलेजों के जनभागीदारी समिति के सदस्य हैं।अगर दिल्ली की तरह यहां भी कार्रवाई हुई तो शिवराज सरकार को इस्तीफ़ा देने की नौबत आ सकती है।
आप पार्टी ने भारत स्काउट व गाइड के अध्यक्ष पारस जैन और उपाध्यक्ष दीपक जोशी की भी शिकायत की थी जिस पर राज्यपाल का जबाब आया था कि ये लाभ के पद नहीं है। लेकिन राज्यपाल के यहां से आए जबाब में चुनाव आयोग का एनेक्जर सलंग्न होने की बात लिखी थी जो आप पार्टी का आरोप है कि नहीं लगा था। आम आदमी पार्टी ने राज्यपाल और चुनाव आयोग को अपनी शिकायत में जनभागीदारी समिति में नियुक्ति को,लाभ के पद के दायरे में मानते हुए कहा था कि विधायक का किसी भी सरकारी पद पर नियुक्ति, जिसमें उन्हें संस्था एलाउंस और दूसरे शासकीय फायदे मिलते हैं, वह संविधान के आर्टिकल 102(1)(ए) का उल्लंघन है, इसलिए इन सभी 116 विधायकों की सदस्यता तुरंत समाप्त की जाए।
दरअसल चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति कोविंद से आप के इन 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश की थी। चुनाव आयोग का मानना है कि 20 विधायक ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आते हैं। जिसके बाद रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद अरविंद केजरीवाल के मुश्किलें बढ़ गई है।