सीबीआई टेप लीक- मेडिकल कालेज घोटाले में काफी ऊपर तक पहुंचाई गई घूस की रकम

नई दिल्ली,मेडिकल कालेज घोटाले में दलाल और एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश के बीच बातचीत के सीबीआई के लीक हुए टेप से पता चला है कि इस मामले में न्यायपालिका में काफी ऊंचे स्तर तक रिश्वत की रकम पहुंचाई गई है। इस बातचीत से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। गौरतलब है कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तो यहां तक आरोप लगाया कि घोटाले में मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने स्वीकार किया है कि इस मामले में चीफ जस्ट‍िस तक को प्रभावित करने की कोशिश की गई है और इसके लिए दो दूत भी भेजे गए थे। इससे ऐसा लगता है कि यह मामला काफी आगे तक जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि लखनऊ का जो प्रसाद मेडिकल कॉलेज इस घोटाले की जांच केंद्र में है, उसे मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने फिर स्टूडेंट के एडमिशन के लिए इजाजत देने से इंकार कर दिया है। दिसंबर में एमसीआई की जनरल बॉडी की बैठक में यह फैसला लिया गया। मेडिकल घोटाले की शुरुआत इसी मेडिकल कॉलेज से हुई थी। इसके साथ ही 29 अन्य मेडिकल कॉलेजों ने बिना जरूरी बुनियादी ढांचे के एकेडमिक ईयर 2016-17 में छात्रों के एडमिशन की इजाजत हा‍सिल करने की कोशि‍श की थी।
एमसीआई द्वारा सन 2015 में किए गए आकलन में बताया गया था कि कॉलेज की फैकेल्टी आधी (52फीसदी) ही है, इसी तरह रेजिडेंट डॉक्टर्स की संख्या भी आधी (54 फीसदी) है। इसमें हॉस्पिटल बेड ऑक्यूपेंसी महज 52 फीसदी थी और आईसीसीयू में कोई मरीज नहीं था। अस्पताल में कोई नर्सिंग स्टेशन, एग्जामिनेशन रूम, पैंट्री, स्टोर रूम, ड्यूटी रूम, डिमास्ट्रेशन रूम नहीं था। इस वजह से एमसीआई की एग्जिक्यूटिव काउन्सिल ने कॉलेज को इजाजत नहीं दी।
पिछले साल इस कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के पहले साल के लिए 150 छात्रों को प्रवेश दिया गया था। इन छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। एमसीआई और इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने इजाजत इसलिए वापस ले ली थी, क्योंकि कॉलेज में कई तरह की अनियमितताएं पाई गईं हैं। एमसीआई की जांच टीम को प्रिंसिपल ने कॉलेज के दौरे की इजाजत ही नहीं दी। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त आर एम लोढ़ा कमेटी ने कुछ शर्तों के आधार पर कॉलेज एडमिशन की इजाजत दे दी। बाद में जब कॉलेज की अनियमितता की बात पता चली तो कॉलेज पर फिर दो साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। इस फैसले से राहत के लिए कॉलेज सुप्रीम कोर्ट में गया और उसने रिटायर्ड जज आई एम कुद्दुसी से भी संपर्क किया। इसके बाद एमसीआई और स्वास्थ्य मंत्रालय की सिफारिश को नजरअंदाज करते हुए चीफ जस्ट‍िस ने कॉलेज पर लगे दो साल के प्रतिबंध को घटाकर एक साल कर दिया। इस तरह 2017-18 के एकेडमिक ईयर को शून्य मानते हुए कॉलेज को अगले साल के लिए राहत दे दी गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *