भोपाल, एक अच्छी सोच आंदोलन का रूप लेती है तो हर वर्ग, हर धर्म इसके साथ जुड़ता चला जाता है. अपनी परम्परा और संस्कृति को पुनर्जीवित कर आज की पीढ़ी के समक्ष इसके महत्व को जन- जागरूकता से जोडऩे का प्रयास अपने आप में एक आंदोलन है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा नदी के संरक्षण और स्वच्छता के आंदोलन को यात्रा का रूप देकर जन-जन को जोडऩे और पेड़ों के महत्व को समझाने की कोशिश सफल होती नजऱ आ रही है. यही नहीं नमामि देवि नर्मदे -सेवा यात्रा छोटे-बड़े गाँवों में स्वच्छता, खुले में शौच न करना, बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को आम जनता तक पहुँचाने में सफल रही है. यह यात्रा लोगों को यह सोचने को मजबूर कर रही है कि वे घरों में शौचालय का निर्माण कर नर्मदा को दूषित होने से बचायें. तटों पर बड़ी संख्या में पौध-रोपण करने से न सिर्फ शुद्ध वातावरण मिलेगा बल्कि अतिरिक्त आमदनी का साधन भी होगा. मुख्यमंत्री ने घोषणा कि है कि नदी तट के एक किलोमीटर की दूरी के गाँव में किसानों की जमीन पर पौधरोपण के लिए 20 हजार रूपये प्रति हेक्टयर तीन वर्ष तक अनुदान और वृक्षारोपण की लागत में 40 प्रतिशत की सहायता हो जायेगी. इसके अलावा मिल्क रूट की तरह फ्रूट रूट भी बनाये जायेंगें जिसके लिए सरकार द्वारा सब्सिडी दी जायेगी.
गंदगी से नदी दूषित न हो इसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जायेगा. हर घर में शौचालय का निर्माण, नल-जल योजना हर घर में नल, मुक्तिधाम और पूजन कुंड की व्यवस्था की जायेगी. नर्मदा यात्रा सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध संदेश को जन-जन तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध हुई है.