लंदन,अगर आप नवजात बच्चे को पहले छह महीने तक ज्यादा पानी पिलाएंगे तो वह बेहद खतरनाक हो सकता है। इतना कि वह बच्चे की जान भी ले सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों के लिए पहले छह महीने मां का दूध ही उनकी पानी की जरूरत भी पूरी कर देता है। नवजात बच्चों को मां के दूध से ही जरूरी कैलोरी और पानी की आवश्यकता पूरी हो जाती है। इसलिए उन्हें छह महीने तक अलग से कम पानी ही पिलाना चाहिए। अगर पानी ज्यादा पिलाया गया तो वह उनके शरीर में जहर की तरह काम करता है, जिससे वह कोमा में जा सकते हैं और फिर मृत्यु भी हो सकती है। विशेषज्ञों का मनना है कि मां का दूध पीने से बच्चों के शरीर में पानी की पूर्ति हो जाती है। इसके इलावा अगर उनको थोड़ी-थोड़ी देर में बार-बार पानी पिलाया जाए तो इससे उनके अंदर सोडियम की मात्रा में कमी आ जाती है। सोडियम बच्चों में पोषक तत्वों को पहुंचाने के लिए जरूरी होता है। पानी की मात्रा ज्यादा होने से बच्चों की कोशिकाओं में ज्यादा फ्लुइड भर जाता है, जिससे उनके शरीर में सूजन आने लगती है, जो दिमाग तक पहुंच जाती है। इससे वह कोमा में जा सकते हैं या फिर उनकी जान भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोमा में जाने की स्थिति आने से पहले बच्चा कुपोषित होने लगता है, उसका वजन गिर जाता है और सूजन बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों को तमाम जरूरी पोषक तत्व स्तनपान के जरिए ही प्राप्त हो जाते हैं। मां के दूध में 88 प्रतिशत पानी की मात्रा होती है, जो बच्चों के लिए काफी है। स्ट्रिंजर ने बताया कि हर बार जब मां बच्चे को स्तनपान कराती है, तो उसके शरीर में पानी भी पहुंचता है और बाकी जरूरी पोषक तत्व भी पहुंच जाते हैं।