तिरुमाला, तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने अपने 44 गैर हिंदू कर्मचारियों के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से “थिरु-नामम” लगाने का आदेश दिया है। ‘थिरू-नामम’ माथे के मध्य पर लगाया जाने वाला एक खास तरह का तिलक है, जिसका आकार अंग्रेजी शब्द ‘यू’ के समान होता है। यह सफेद चंदन की मोटी रेखा से घिरा होता है।
इस बीच दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का प्रबंधन करने वाले टीटीडी बोर्ड ने ‘थिरू-नामम’ को अनिवार्य कर दिया है। ‘थिरू-नामम’ माथे के मध्य पर लगने या बनाए जाने वाला एक निशान है, जिसमें एक पतली ऊपर की ओर उठी लाइन होती है। इसका आकार अंग्रेजी शब्द ‘यू’ के समान होता है। यह सफेद चंदन की मोटी रेखा से घिरा होता है। आपको बता दें कि मंदिर के दिशा- निर्देशों के अनुसार कोई भी गैर हिंदू इस मंदिर में न तो काम कर सकता है और न ही किसी सेवा का हिस्सा बन सकता है। यहां तक कि अगर वह मंदिर में प्रवेश भी करना चाहें तो उन्हें पहले हस्ताक्षर कर यह साबित करना होगा कि उनके मन में हिंदू भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा है।
1989 तक टीटीडी में भर्ती प्रक्रिया पर कोई प्रतिबंध नहीं था। 1989 से 2007 तक जो भी व्यक्ति हिंदू धर्म को खुलकर स्वीकार करता था, उन व्यक्तियों की भर्ती गैर-शिक्षण श्रेणी में की जा सकती थी। लेकिन 2007 में नियम के संशोधन के बाद, गैर-हिंदुओं को टीटीडी की अध्यापन या गैर-शिक्षण श्रेणियों में भी नियोजित नहीं किया जा सकता। हाल ही में, टीटीडी जागरुकता एवं प्रवर्तन के मुख्य अधिकारी रविशंकर ने एक रिपोर्ट दी, जिसके अनुसार 44 गैर-हिंदू महिला और पुरुष कार्यरत पाए गए। जो कि मंदिर की अलग- अलग विंग में काम कर रहे हैं। मुख्य अधिकारी अनिल कुमार सिंघल के अनुसार उन 44 लोगों में से 39 कर्मचारी 1989-2007 के बीच भर्ती हुए हैं। ये लोग बड़ी संख्या में दयालु वर्ग में कार्यरत हुए हैं। अब टीटीडी ने उन्हें आंध्र प्रदेश के अन्य सरकारी विभागों में बाकी कार्यकर्ताओं के समान भेजने की योजना बना रही है।