भोपाल, फर्जी लोकायुक्त सब इंस्पेक्टर बनकर लोगों से लाखों रुपए ऐंठने वाले शातिर जालसाज को लोकायुक्त भोपाल की टीम ने पकड़ा है। करीब एक साल से आरोपी रामकुमार विश्वकर्मा टीकमगढ़ में लोकायुक्त पुलिस का फर्जी दफ्तर डायरेक्ट कर रहा था। वह बगैर किसी डर के लोकायुक्त की विशेष अदालत की फर्जी नोटशीट लिखकर लोगों को केस से बरी होने तक के आदेश दे देता था।इस गोरखधंधे की भनक तब लगी, जब टीकमगढ़ के विजय अहिरवार ने लोकायुक्त एनके गुप्ता से लिखित शिकायत की। विजय ने लोकायुक्त को बताया कि चार अक्टूबर को आदिम जाति कल्याण विभाग में बाबू के रूप में पदस्थ उसके पिता रतिराम अहिरवार को सागर लोकायुक्त पुलिस ने 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ ट्रैप किया था। लोकायुक्त की टीम आगे कार्रवाई न करे इसके लिए टीकमगढ़ निवासी रामकुमार विश्वकर्मा ने विजय से पांच लाख रुपए ऐंठ लिए। रामकुमार ने खुद को सागर लोकायुक्त में पदस्थ सब इंस्पेक्टर बताया था, जिसे इन दिनों टीकमगढ़ में काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरोपी ने उसे लोकायुक्त विशेष अदालत की एक फर्जी नोटशीट भी दी, जिसमें उसने रतिराम को बरी बता दिया था। इस आधार पर लोकायुक्त ने नौ सदस्यीय टीम टीकमगढ़ भेजी थी। टीम ने गुरुवार को रामकुमार के घर पर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से कंप्यूटर, लेमिनेटर, नोटशीट समेत अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं। टीम ने फिलहाल रामकुमार को भ्रष्टाचार अधिनियम, जालसाजी और आपराधिक षडय़ंत्र रचने की धाराओं में गिरफ्तार किया है। बताया गया है कि आरोपी को सोना चोरी के मामले में भी पहले गिरफ्तार किया जा चुका है शातिर राजकुमार ने फर्जी छापा मारने के लिए उसने 5 लोगों की टीम बना रखी थी। 17-17 हजार रु. की तनख्वाह पर दो युवतियों और एक युवक को कंप्यूटर ऑपरेटर रखा था। खुद मप्र शासन का बोर्ड लगी एसयूवी से जाकर लोगों को धमकाता था। जालसाज से लोकायुक्त का फर्जी आईकार्ड भी मिला है। जांच में सामने आया है कि वह तकरीबन दस लोगों को विशेष कोर्ट की फर्जी नोटशीट देकर केस से बरी बता चुका है। लोकायुक्त अधिकारियों ने बताया कि आरोपी को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया है। अफसरों को आशंका है कि उसके गिरोह में अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस यह भी जानने में जुटी है कि उसे लोकायुक्त कार्यप्रणाली की जानकारी कैसे है और अब तक वो कितने लोगों से ठगी कर चुका है।