कांकेर,नक्सिलियों से निपटने के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों पर बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी, सीएएफ समेत दर्जन भर सुरक्षा बलों के अलग-अलग दस्ते तैनात किए गए हैं। नक्सलियों से संघर्ष में सबसे ज्यादा नुकसान सीआरपीएफ के जवानों ने उठाया है। भारी अभावों के बीच अबूझमाड के जंगलों में नक्सलियों से जूझ रहे इन जवानों को यदि जंगल वार फेयर कालेज में प्रशिक्षण मिल जाता और जवान गुरिल्लावार की बारीकियां जानते होते तो निश्चित ही नक्सली गतिविधियों पर पूरी तरह लगाम लग जाती।
इस वर्ष नक्सलियों से संघर्ष करते हुए कुल 62 जवान शहीद हुए हैं, जिनमें सीआरपीएफ के 41 जवान शामिल हैं। इसी तरह छह अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में 76 जवान तो 11 मार्च 2014 में 15 जवान शहीद हुए थे। आंकड़े बताते हैं कि सीआरपीएफ को नक्सलियों से संघर्ष में ज्यादा नुकसान हुआ है। नक्सलियों से मुकाबले के लिए सीआरपीएफ जवानों को पर्याप्त हथियार सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए हैं।
आरपीएफ जवानों को एक लाख 25 हजार बुलेट प्रूफ हेलमेट की जरूरत है, जबकि उन्हें केवल 1800 हेलमेट ही दिए गए हैं। इसी तरह 38 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट का वितरण मंजूर होने के बाद भी सीआरपीएफ के जवानों में वितरण नहीं हो पाया। इसी तरह इन्हें 125 एमवीपी यानि माइनिंग प्रोटेक्ट व्हीकल दिए गए हैं, जबकि मांग पत्र में केंद्र सरकार से 650 से भी ज्यादा एमवीपी मांगे गए हैं। यदि इन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं, तो निश्चित रूप से यह बल नक्सलियों पर भारी बैठेगा।
इस वर्ष जनवरी से दिसंबर तक 62 जवान शहीद हुए हैं, जबकि 47 आम नागरिक मारे गए। इस दौरान 73 नक्सलियों को मारा गया। विगत वर्ष जनवरी से दिसंबर तक सुरक्षा बल के 36 जवान शहीद हुए और 66 आम नागरिक एवं 137 नक्सली मारे गए थे। सन
2015 में जनवरी से दिसंबर की बात की जाए तो 49 जवान शहीद, 44 आम नागरिक और 102 नक्सली मारे गए थे। इस वर्ष कुल 62 जवान शहीद हुए हैं।
जिसमें आरपीएफ के एक, एसएफ से चार, एसटीएफ तीन और जिला पुलिस के 13 जवानों ने अपने प्राणों की आहूति दी है। जंगल वार कॉलेज के डायरेक्टर ब्रिगेडियर बीके पोनवार ने बताया कि देश के अलग-अलग स्थानों से सुरक्षा बल के जवान यहां आतंकियों और नक्सलियों से लड़ना सीख रहे हैं, मगर नक्सली मोर्चे में काम कर रहे सीआरपीएफ के जवानों को गुरिल्ला युद्घ सिखाए जाने की जरूरत है। नक्सलियों को हर हाल में समाप्त करने के लिए सीआरपीएफ को यह युद्घ कला सीखना जरूरी है।