चारा घोटाले के देवघर कोषागार मामले में लालू दोषी करार,जगनाथ मिश्रा बरी,3 को सुनाई जाएगी सजा

रांची,चारा घोटाले के देवघर कोषालय मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को दोषी करार दिए गए हैं,जबकि इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बरी किया गया है.इस मामले के 22 दोषियों में से छह को दोष मुक्त किया गया है.अब इस पर सजा पर 3 जनवरी को न्यायलय सुनवाई करेगा.इस बीच राजद नेता को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजा जायेगा.इधर,लालू अब उच्च न्यायलय में जमानत और इस निर्णय के खिलाफ फैसला आने के बाद ही अपील कर सकेंगे.उधर,सीबीआई ने राजद नेता को हिरासत में ले लिया है.दोषी करार देने के बाद लालू को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया। देवघर चारा घोटाला में लालू सहित 22 लोग आरोपी थे। इमनें से 16 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। खास बात यह है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और ध्रुव भगत समेत 6 लोगों को बरी कर दिया गया है। चारा घोटाला में लालू प्रसाद पर कुल छह केस चल रहे हैं। यह फैसला दूसरे मामले पर आया है। इसके पहले उन्हें एक मामले में 5 साल की सजा हो चुकी है। 375 दिन जेल में गुजारने के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।
पिछड़ी जाति से इसलिए सजा : आरजेडी
आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि लालू पिछड़ी जाति से हैं, इसलिए इस तरह की सजा की दी गई है। झा ने सीबीआई की ओर इशारा करते हुए कहा कि कल तक जो पिंजड़ा वाला तोता था आज वो चिप पर काम कर रहा है और इस चिप को 11 अशोका रोड से संचालित किया जा रहा है, जो इनके पास 11 अशोक रोड जाकर नतमस्तक हो जाता है वो धुल जाता है। 11 अशोक रोड पर इनके पास वॉशिंग मशीन है. जो नहीं जाता, उसे ये प्रताडि़त करते हैं।
लालू को कानून का इंजेक्शन : जेडीयू
आरेजी के जातिगत आरोपों पर जेडीयू की ओर से नीरज कुमार ने पलटवार किया कि लालू को कानून का इंजेक्शन मिला है।
यह है चारा घोटाला
1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकाले गये। इस समय बिहार में लालू यादव बिहार मुख्यमंत्री थे। हालांकि, पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है। लेकिन लालू को जिस मामले में आरोपी बनाया गया है वह देवघर कोषागार से जुड़ा केस है। इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा दर्ज किया था।
पहले से ही 5 साल की जेल हो चुकी
इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है। सीबीआई कोर्ट ने तीन अक्टूबर, 2013 को फैसला सुनाया था। इसमें लालू को पांच साल की सजा सुनायी गई थी। उसी साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। तब से लालू प्रसाद जमानत पर हैं। तभी से वे चुनाव आयोग से वे चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य घोषित हो चुके थे।
ये हैं आरोपी
38 में से 11 की हो चुकी मौत
03 सीबीआई के गवाह बने
केस में लालू प्रसाद के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डॉ. के के प्रसाद तथा शेष अन्य चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे। सभी 38 आरोपियों में से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि तीन सीबीआई के गवाह बन गए हैं। वहीं दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी।
कितनी हो सकती है सजा
सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है। वहीं, लालू के वकील ने बताया कि इस मामले में यदि लालू और अन्य को दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम सात साल और न्यूनतम एक साल की कैद की सजा होगी।
नीतीश को लाने के लालू पर किया था केस, आज अफसोस है
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा- मैंने लालू पर केस करके बहुत बड़ा पाप कर दिया। राजनीति में नीतीश को लाने एवं लालू प्रसाद की ताकत खत्म करने के लिए यह केस किया गया था। गौरतलब है कि इस मामले में शिवानंद तिवारी, सुशील कुमार मोदी और सरयू राय के प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने चारा घोटाला मामले में कोर्ट में केस किया था और बाद में इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। आज राजनीति परिस्थिति बदल गई हैं ।उस समय शिवानंद तिवारी नीतीश के साथ थे, लेकिन अब जेडीयू से निकाले जाने पर तिवारी एक बार फिर लालू की शरण में हैं।
ऐसे खुला घोटाला
-1996 में पशुपालन विभाग के दफ्तरों में छापेमारी
-फर्जी कंपनियों द्वारा पैसों की हेराफेरी सामने आई
– 11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच को कहा
-1996 में सीबीआई ने चाईबासा खजाना मामले में एफआईआर की
– 23 जून 1997 को सीबीआई ने लालू को आरोपी बनाया
– 30 जुलाई 1997 को लालू आत्मसमर्पण किया, न्यायिक हिरासत पर गये
दोषी होते ही लालू ने किये कई ट्वीट
-सामंतीवादी ताक़तों, जानता हूं लालू तुम्हारी राहों का कांटा नहीं, आंखों की कील है, लेकिन इतनी आसानी से नहीं उखाड़ पाओगे
-ऐ सुनो कान खोलकर, आप इस गुदडी के लाल को परेशान कर सकते हो, पराजित नहीं
-ना जोर चलेगा लाठी का, लालू लाल है माटी का
-भाजपा अपनी विफल नीतियों से ध्यान भटकाने के लिए बदले और बैर की भावना से विपक्षियों की छवि बिगाड़ रही है

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