विधान परिषद से यूपीकोका विधेयक पास नहीं करा पायी योगी सरकार

लखनऊ, उप्र विधानसभा में प्रचण्ड बहुमत के साथ उप्र संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2017 यानि यूपीकोका को पास कराने वाली सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार उच्च सदन से इस विधेयक का पास कराने में नाकाम रही। सरकार के विधान परिषद में अल्पमत में होने का शुक्रवार को उसे खामियाजा भुगताना पड़ा और विपक्षी सदस्यों के विरोध के चलते इस विधेयक सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। जो इस पर एक माह में अपनी रिपोर्ट सदन में रखेगी।
विधानसभा में ध्वनिमत से पारित होने के बाद उच्च सदन में आज इस विधेयक को पेश किया गया। भोजनावकाश के बाद की कार्यवाही के दौरान विधेयक पर बहस शुरू हुई। बहस के बाद सदस्यों की भावनाओं को देखते हुये परिषद के सभापति रमेश यादव ने इस विधेयक को परिषद की प्रवर समिति भेज दिया। विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ हुई भाजपा उच्च सदन में अल्पमत में है। इस 100 सदस्यीय सदन में भाजपा के 13 सदस्य  हैं , जबकि समाजवादी पार्टी के 61 सदस्य हैं। बसपा के नौ, कांग्रेस के दो तथा राष्ट्रीय लोकदल का एक सदस्य है। इसके अलावा शिक्षक दल तथा निर्दलीयों समेत कुल 12 सीटें हैं। जबकि दो पद खाली है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर बनाये गए यूपीकोका माफिया और संगठित अपराध से निपटने के कड़े प्रावधान किए गए हैं। इस विधेयक में आतंक फैलाने, बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास करने वालों से सख्ती से निपटने के प्रावधान हैं। विधेयक में आतंक फैलाने या बलपूर्वक, हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों या अन्य हिंसात्मक साधनों का प्रयोग कर किसी की जान या संपत्ति को नष्ट करने या राष्ट्र विरोधी, अन्य लोक प्राधिकारी को मौत की धमकी देकर या बर्बाद कर देने की धमकी देकर फिरौती के लिए बाध्य करने को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि मौजूदा कानूनी ढांचा संगठित अपराध के खतरे के निवारण एवं नियंत्रण के अपर्याप्त पाया गया है इसलिए संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने के लिए संपत्ति की कुर्की, रिमांड की प्रक्रिया, अपराध नियंत्रण प्रक्रिया, त्वरित विचार एवं न्याय के मकसद से विशेष न्यायालयों के गठन और विशेष अभियोजकों की नियुक्ति तथा संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने की अनुसंधान संबंधी प्रक्रियाओं को कड़े एवं निवारक प्रावधानों के साथ विशेष कानून अधिनियमित करने का निश्चय किया गया है।
विधेयक में संगठित अपराध को विस्तार से परिभाषित किया गया है। फिरौती के लिए अपहरण, सरकारी ठेके में शक्ति प्रदर्शन, खाली या विवादित सरकारी भूमि या भवन पर जाली दस्तावेजों के जरिए या बलपूर्वक कब्जा, बाजार और फुटपाथ विक्रेताओं से अवैध वसूली, शक्ति का प्रयोग कर अवैध खनन, धमकी या वन्यजीव व्यापार, धन की हेराफेरी, मानव तस्करी, नकली दवाओं या अवैध शराब का कारोबार, मादक द्रव्यों की तस्करी आदि को शामिल किया गया है। विधेयक में संगठित अपराध के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

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