आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले आधे लोग देते हैं जीरो इनकम टैक्स

नई दिल्ली,मोदी सरकार के पहले दो साल में छूट और मामूली वृद्धि की वजह से डायरेक्ट टैक्सपेयर्स बेस में धीमी रफ्तार से वृद्धि हुई, जबकि नोटबंदी के बाद इस ट्रेंड में बदलाव की उम्मीद थी। बुधवार को टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जारी आंकड़ों में दिलचस्प तस्वीर सामने आई है। इसमें बताया गया है कि रिटर्न फाइल करने वाले आधे भारतीय जीरो इनकम टैक्स देते हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में 4.1 करोड़ भारतीयों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया, लेकिन इनमें दो करोड़ लोग ऐसे थे, जिन्होंने दावा किया कि उनकी आमदनी पर जीरो टैक्स बनता है। दूसरे दो करोड़ लोगों ने औसतन सालाना 42 हजार 456 रुपये का इनकम टैक्स चुकाया। केवल एक करोड़ टैक्सपेयर्स ने एक लाख से अधिक का टैक्स दिया। आंकड़ों के मुताबिक टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन 2012-13 से चार साल तक इसकी रफ्तार कम रही और केवल 54 लाख नए टैक्सपेयर्स सामने आए। 2013-14 में केवल 5.4 करोड़ टैक्स पेयर्स थे, जो मोदी के सत्ता संभालने के बाद 2015-16 तक बढ़कर केवल 5.93 करोड़ हुए यानी केवल 53 लाख का इजाफा। लेकिन नोटबंदी के बाद कम से कम 91 लाख नए टैक्सपेयर्स जुड़े हैं। कुल टैक्स कलेक्शन में दिल्ली और महाराष्ट्र का योगदान 50 फीसदी है, यानी सर्वाधिक टैक्स चुकाने वाले नागरिक इन्हीं दो राज्यों से हैं। सर्वाधिक 37 फीसदी टैक्स महाराष्ट्र से आता है। दूसरे नंबर पर दिल्ली है, जहां से 12.8 फीसदी टैक्स की प्राप्ति होती है। टॉप 10 में इन दो राज्यों के बाद कर्नाटक (10.1), तमिलनाडु (7.1), गुजरात (4.6), आंध्र प्रदेश (4.3), पश्चिम बंगाल (4.1), यूपी (3.5), हरियाणा (2.4) और राजस्थान (2.4 प्रतिशत) शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि भारत के सबसे अमीर राज्यों में शामिल पंजाब टैक्स के मामले में टॉप 10 में भी नहीं है। टैक्स कलेक्शन में तेलंगाना का योगदान तेजी से बढ़ रहा है। 2014-15 से 2016-17 के बीच तेलंगाना में इनकम टैक्स कलेक्शन दोगुना हो चुका है। इसके साथ ही मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और मणिपुर इनकम टैक्स में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज करने वाले राज्य हैं।
2015-16 के बीच देश में केवल एक टैक्सपेयर ने सौ करोड़ से अधिक का टैक्स दिया है और यह कुल राशि 238 करोड़ रुपये है। हालांकि नाम नहीं बताया गया है। लेकिन तीन लोगों ने 50 से सौ करोड़ रुपये के बीच टैक्स दिया है। वहीं, एक करोड़ से 50 करोड़ के बीच टैक्स देने वालों की संख्या नौ हजार 686 है। 2015-16 में ऐसे टैक्सपेयर्स की संख्या में 23.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जिन्होंने अपनी टैक्स रिटर्न में एक करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी की घोषणा की। हालांकि, करोड़पतियों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन पिछले साल की तुलना में उनकी कुल आमदनी में 50 हजार 889 करोड़ रुपये की कमी आई है। 59 हजार 830 लोगों ने अपनी आय को एक करोड़ रुपये से अधिक बताया है।

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