मथुरा, रामायण एवं महाभारत की शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता बताते हुए द्वारिका स्थित शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने कहा कि ‘‘केवल हिन्दुस्तान में पैदा होने से ही कोई हिन्दू नहीं हो जाता। हमें केवल संस्कृति से ही नहीं, बल्कि धर्म से हिन्दू होना चाहिए। कोई व्यक्ति यदि वेदों एवं हिन्दू धर्म के शास्त्रों को न माने तो वह हिन्दू नहीं होता है।’’ गौरतलब है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल में अपने एक बयान में कहा था कि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है। शंकराचार्य ने कहा कि रामायण और महाभारत को शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। यदि आधुनिक शिक्षा के साथ पौराणिक कथाओं का ज्ञान भी कराया जायेगा तो युवाओं को पता चलेगा कि बुरा कर्म करने से उसका नतीजा भी बुरा ही निकलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा तो युवाओं को एक बड़ी शिक्षा मिलेगी।’’ उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित कथाकारों एवं धर्मप्रचारकों को सलाह दी कि वे राधा-कृष्ण की लीलाओं के साथ पापकर्म करने पर मिलने वाली नर्क की यातनाओं का भी वर्णन करें जिससे लोग बुरे विचार भी अपने मन में न लायें। ज्योतिष पीठ पर चल रहे विवाद के सवाल पर शकंराचार्य ने कहा, ‘‘सत्ता से जुड़ी कुछ शक्तियां हमारे खिलाफ षड़यंत्र रच रही हैं। वे हमारी पीठों पर अपने समान विचार मानने वाले लोगों को बैठाना चाहती हैं। हमें अदालत से दूर रहकर अपनी सनातन परम्परा का पालन करना होगा।हम ऐसे लोगों को षडयंत्र करने में कामयाब नहीं होने देंगे।’’
रामायण एवं महाभारत की कहानियां पाठ्यक्रम का हिस्सा हों,शास्त्रों को न मानने वाला हिन्दू नहीं होता – स्वरूपानन्द
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