भोपाल, शहडोल वनवृत्त में लगातार हो रही बाघों की मौत शिकार की ओर इशारा करती है। 25 नवंबर से 11 दिसंबर तक तीन बाघ-बाघिन, एक बाघ शावक और एक तेंदुए की संदिग्ध मौत हो चुकी है। प्रारंभिक तौर पर यह दिखाई देता है कि करंट और फंदे लगाकर इन जानवरों को मारा है।
ये हालात तब हैं, जब पहली घटना के बाद से वन विभाग की एसटीएफ और डॉग स्क्वॉड क्षेत्र में डेरा डाले हुए है। आसपास के वनपरिक्षेत्र के मैदानी अमले से मॉनीटरिंग कराई जा रही है। अमले को जंगल से निकली बिजली लाइन और पोखरों को विशेष रूप से चेक करने के निर्देश दिए गए हैं। जिस तरह बाघ के शव मिल रहे हैं, उससे वन विभाग की गश्ती पर सवाल उठ रहे हैं। वन विभाग का नेटर्वक कमजोर हो गया है।
अभी तक जो चार शव मिले, उसकी सूचना गांव वालों ने वन विभाग को दी है, जबकि वन विभाग का अमला तैनात है। वन समितियां भी काम कर रही हैं। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जितेंद्र अग्रवाल भी लगातार हो रही घटनाओं के लिए मैदानी अफसर एवं कर्मचारियों की लापरवाही मानते हैं। उन्होंने उमरिया डीएफओ वासु कन्नौजिया को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। शहडोल वनवृत्त में 25 नवंबर को बाघ, 28 नवंबर को तेंदुआ, 4 दिसंबर को बाघ और 11 दिसंबर को एक बाघिन और शावक का शिकार हुआ है, लेकिन वृत्त के सीसीएफ प्रशांत जाव 22 नवंबर से छुट्टी पर थे। उन्होंने मंगलवार को ही ज्वॉइन किया है। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने इस बीच उन्हें घटनाओं की जांच सौंप दी थी। इस बारे में वन वृत शहडोल के प्रभारी सीसीएफ टीएन चतुर्वेदी का कहना है कि सोमवार को जहां बाघिन का शव मिला था, उससे लगभग सौ मीटर की दूरी पर दूसरा शव शावक का मिला है। दोनों के शव सड़े हैं। पीएम के बाद अंतिम संस्कार हो गया है। पीएम रिपोर्ट के बाद मौत का कारण स्पष्ट होगा। आशंका है कि कं रट से मौत हुई होगी। आरोपियों को जल्दी पकड़ा जाएगा। वहीं अपर मुख्य सचिव वन दीपक खांडेकर का कहना है कि सभी घटनाओं की जांच कराई जा रही है। यदि मॉनीटरिंग में लापरवाही बरती गई है तो संबंधितों पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी। फिलहाल हमारा उद्देश्य घटनाएं रोकना है। आसपास के पूरे अमले को इसमें लगाया गया है।
शहडोल वनवृत्त में लगातार बाघों की मौत कर रही शिकार की ओर इशारा
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