रायपुर, साइको किलर उदयन की निशानदेही पर रविवार को पुलिस ने उसके रायपुर स्थित मकान में खुदाई शुरु कराई. जिसमें हड्डियां और खोपड़ी मिली है. अब इसकी डीएनए जांच कर ये पता लगाया जाएगा कि क्या ये सही में उसके माता-पिता की हड्डियां हैं.
उदयन ने शनिवार को भोपाल में पुलिस को बताया था कि उसने ही करीब 11 साल पहले अपने मां-बाप का कत्ल कर उनके शव रायपुर के मकान में दफना दिए थे.जिसके बाद रविवार सबेरे पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ मप्र की पुलिस यहां आई और फिर खुदाई शुरु की गई.
यहां खुदाई के दौरान एक सोने की चेन भी निकली है. जिससे ये संभावना बलबती हुई है कि ये उयन की मां की हो सकती है.इधर,खुदाई में बोरी के अंदर कुछ कपड़े और हाथ के पंजे की हड्डियां मिली हैं. गौरतलब है उदयन ने बताया था कि उसने नशा और फिजूलखर्ची रोकने का बार-बार कहने पर ही मां-बाप की हत्या की थी.उधर,मीडिया के पूछने पर रायुर के घर के पास रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्हें उनके बीमारी मौत की बात बताई गई थी. क्योंकि उसके घर के लोगों का आसपास के लोगों से मिलना जुलना काफी कम था इस लिए किसी को इतने दिनों तक शक भी नहीं हुआ.
8 फीट नीचे मिले कंकाल
सुंदरनगर स्थित घर के बगीचे में खुदाई की खुदाई में आठ फीट नीचे मिले कंकाल बाहर निकालने में तीन घंटे से ज्यादा का वक्त लगा. पुलिस ने बताया कि उसे माता-पिता के शवों को गाडऩे की जगह बताने से लेकर हड्डियों को निकालने तक एक बार भी चेहरे पर शिकन नहीं आई. पुलिस अफसर उस वक्त भौंचक्के रह गए,जब उसने माता-पिता की अस्थियों के अंतिम संस्कार की इच्छा जताई. पुलिस उदयन का मनोवैज्ञानिक परीक्षण करवाने की तैयारी में है. उसने को दिए बयान में कहा कि हत्या के कुछ देर बाद उसने मजदूरों को बुलाकर खाद बनाने के नाम पर लॉन में गड्ढा खुदवाया और रात में माता-पिता के शवों को डालकर गड्ढा पाट दिया. शवों की बरामदगी के लिए भोपाल और पश्चिम बंगाल की पुलिस सबेरे राजधानी एक्सप्रेस से रायपुर पहुंची. मुख्य स्टेशन पर हंगामा न हो,इस लिए पुलिस सरस्वतीनगर स्टेशन पर उतर गई.
शातिर दिमाग है उदयन
रायपुर,भोपाल और अन्य जगहों पर अपराधों में तो उसकी भूमिका नहीं है.पुलिस इस कोण से भी पडताल कर रही है. क्योंकि ये साप्ऊ हो गया है कि वह बहुत शातिर है. अब हर बिंदुओं पर जांच होगी. इसके अलावा यह भी जांच की जाएगी कि मां के नाम का घर उसके नाम कैसे ट्रांसफर हुआ? पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर कैसे घर बेचा गया. इस घटना के पीछे किसी और का तो हाथ नहीं है. मां का डेथ सर्टिफिकेट कैसे बनवा लिया गया, जिसके लिए श्मशान की रसीद और अस्पताल का पत्र जरूरी होता है. इसी डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर उसने घर अपने नाम कराया था.
पहचान ली जगह
सुंदर नगर के उसके पुराने मकान में लाशों को दफनाने की जगह उसने बिना किसी हिचकिचाहट के बता दी. उससे मकान खरीदने वाले वकील हरीश पांडे ने घर के आंगन को सडक़ के लेवल तक लाने के लिए काफी सारी मिट्टी डलवाई थी. पुलिस और खनन एक्सपर्ट की टीम ने जगह की मार्किंग की. इसके बाद खुदाई शुरू हुई.