भोपाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ या पोस्ट ग्रेज्युएट मेडिकल ऑफीसर (पीजीएमओ) की मौजूदगी में ही अब महिलाओं का मेडिकल परीक्षण किया जाएगा। उनकी निगरानी में महिला चिकित्सा अधिकारी भी जांच कर सकेंगी। दुष्कृत्य व हिंसा की शिकार महिलाओं के मेडिकल परीक्षण के संबंध में स्वास्थ्य संचालनालय ने नई व्यवस्था बनाई है। अभी तक ऐसा नियम नहीं होने से ज्यादातर मामलों में महिला चिकित्सा अधिकारी ही मेडिकल जांच कर रही थीं। दरअसल, हाल ही में हबीबगंज के पास पीएससी कोचिंग से लौट रही एक छात्रा से सामूहिक ज्यादिती हुई थी। सुल्तानिया अस्पताल में डॉक्टरों ने मेडिकल जांच के बाद गलत रिपोर्ट बना दी थी। हाईकोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने दुष्कृत्य के मामले में मेडिकल जांच डॉक्टरों की एक टीम से कराने का निर्णय लिया था। अब स्वास्थ्य विभाग ने अपने अस्पतालों को इस संबंध में आदेश जारी कर गायनकोलॉजिस्ट से या फिर उसकी मौजूदगी में महिला चिकित्सा अधिकारी से जांच कराने को कहा है। स्वास्थ्य संचालक डॉ. केके ठस्सू ने सभी जिलों के सीएमएचओ, सिविल सर्जन को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि मेडिकल जांच में देरी बिल्कुल न की जाए। नई व्यवस्था के बाद हिंसा या दुष्कृत्य पीड़ित महिलाओं की जांच जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) में ही हो सकेगी। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में गायनकोलॉजिस्ट की पोस्ट नहीं होने के चलते वहां से पीड़िता को नजदीक के ऐसे अस्पताल में रेफर किया जाएगा जहां स्त्री रोग विशेषज्ञ की पस्थापना होगी। इतना ही नहीं, जांच भी पूरी गंभीरता के साथ करना होगी।