व्यापमं घोटाला: आरोपियों पर शिकंजा कसना शुरु,30 आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज

भोपाल,बहुचर्चित घोटालों में शुमार मप्र के मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की मेडिकल प्रवेश परीक्षा (पीएमटी- 2012) में हुए घोटाले के आरोपियों पर राज्य सरकार ने शिकंजा कसना प्रारंभ कर दिया है। इस घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने कल भोपाल की विशेष अदालत में 592 आरोपियों के खिलाफ एक और चार्जशीट दाखिल की। इसमें व्यापमं के पूर्व अधिकारियों सहित निजी मेडिकल कॉलेजों के चेयरमैन भी शामिल हैं। घोटाले में शामिल आरोपियों की जमानत का सीबीआई ने अदालत में विरोध किया। इस दौरान अदालत ने चिरायु मेडिकल कालेज के डायरेक्टर अजय गोयनका, पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन एसएन विजयवर्गीय सहित 30 आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। मामले में सीबीआई ने जुलाई 2015 में केस पंजीबद्ध किया था। सीबीआई की जांच में पाया गया कि पीएमटी 2012 में गिरोह सक्रिय था, जिसने निजी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) से सांठगांठ कर अयोग्य लोगों को मेडिकल में प्रवेश दिलवाया। पीएमटी में सक्रिय गिरोह कुछ लोगों से मिलकर सॉल्वर की व्यवस्था करा रहे हैं और इसका फायदा छात्र उठा रहे हैं। सॉल्वर व फायदा लेने छात्रों का गठजोड़ था। गठजोड़ व्यापमं के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर सॉल्वर व परीक्षार्थियों की बैठक व्यवस्था आसपास कराता था। इससे नकल करने में आसानी होती थी।
जांच में पाया गया कि डीएमई और निजी मेडिकल कॉलेजों की मिलीभगत रही। 10 जून 2012 को पीएमटी की जो परीक्षा हुई थी, उसमें काउंसलिंग के दौरान बिचौलियों ने सॉल्वर्स को चार निजी मेडिकल कॉलेजों में ही प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया। निजी कॉलेज में सीट आवंटित कराने के बाद सॉल्वर्स उनमें प्रवेश नहीं लेते थे, लेकिन ये सभी चार निजी कॉलेज प्रबंधन डीएमई को सीटों पर प्रवेश की झूठी सूचना देते थे। इससे राज्य के कोटे की सीटें काउसिंलिंग में भरी दिखती थीं। इससे प्रतीक्षा सूची के परीक्षार्थियों को प्रवेश नहीं मिलता था। बदले में बिचौलिए उन सॉल्वर्स को पैसे देते थे, जिनके द्वारा निजी मेडिकल कॉलेज की सीट खाली की जाती थी। सॉल्वर्स की खाली सीटें 28 से 30 सितंबर 2012 को इन चारों मेडिकल कॉलेजों ने पूरी प्रक्रिया को अपनाए बिना भर दीं। इस प्रवेश में इन मेडिकल कॉलेजों उन लोगों को एडमिशन दे दिया, जिन्होंने पीएमटी दी ही नहीं थी। डीएमई की ओर से कभी भी इन चार निजी कॉलेजों में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए एडमिशन का भौतिक परीक्षण नहीं किया गया।

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