नई दिल्ली,तस्वीर तो तभी साफ होगी जब सीबीआई पूरे पत्ते खोलेगी। अब तक के घटनाक्रम यही संकेत दे रहे हैं कि देर-सबेर सीबीआई अशोक को गवाह बना सकती है। इस बात के संकेत जांच दल में शामिल एक अधिकारी ने दिए भी हैं। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया है कि आरोपी छात्र ने जब माली हरपाल व एक महिला टीचर को यह बताया कि कि प्रद्युम्न खून से लथपथ स्कूल के बाथरूम में पड़ा है तो महिला टीचर ने अशोक को ही मदद के लिए बुलाया था। उसके सामने ही फर्श व बच्चे के बैग को पानी से धोया गया। सीबीआई पहले भी दावा कर चुकी है कि अशोक वारदात में शामिल नहीं था। विशेष अदालत में अशोक की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान भी सीबीआई की ओर से दलील दी गई कि इस वारदात में अशोक की भूमिका नहीं पाई गई। क्लीन चिट देने की बात हुई तो सीबीआई ने तर्क दिया था कि अभी केस की जांच जारी है। पूरी होने के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा। सीबीआई कह रही है कि वारदात के बाद सुबूतों से छेड़छाड़ हुई। सुबूत मिटाने का प्रयास स्कूल प्रबंधन की ओर से किया गया। एसआइटी ने भी बनी बनाई पटकथा लिख अशोक को आरोपी बना कर जेल भेज दिया था। अशोक के अधिवक्ता मोहित वर्मा ने इस मामले में नई बात बताई। गवाहों द्वारा गुरुग्राम पुलिस व सीबीआइ को दिए गए बयान अलग-अलग हैं। गवाहों ने पुलिस पर धमकाकर जबरदस्ती बयान दर्ज कराने का आरोप लगाया है। एसआइटी ने माली हरपाल के बयान लिए थे। उसमें अशोक के कपड़ों पर खून लगे होने की बात कही थी, लेकिन जब उसने सीबीआइ को अपने बयान दर्ज करवाए तो उसमें उसने कहा कि कपड़ों पर खून लगा है या नहीं, यह उसने नहीं देखा। दिल्लीं पुलिस ने उसे धमका कर जबरदस्ती बयान दर्ज करवाए थे। टीचर व तत्कालीन कार्यवाहक प्रिंसिपल द्वारा गुरुग्राम पुलिस व सीबीआइ को दिए गए बयान अलग-अलग हैं। गुरुग्राम पुलिस को दिए बयानों में कहा गया था कि उन्होंने अशोक के कपड़ों पर खून लगा देखा था, लेकिन जब सीबीआइ ने बयान दर्ज किए तो उन्होंने खून लगे होने की बात से इंकार कर दिया। ऐसे में सीबीआइ अपनी बात रखने के लिए यह साबित करने के लिए कि सबूतों से छेड़छाड़ की गई अशोक को गवाह बना सकती है। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज के अनुसार, अशोक घटना के समय वहां पहुंचा था। उसके सामने बच्चे को उठाया गया। ऐसे में सीबीआइ उसे क्लीन चिट देकर अपना गवाह बना सकती है।