नई दिल्ली,कई सालों की लड़ाई लड़ने के बाद अब मुसलमान महिलाओं को तीन तलाक के खिलाफ पीड़ित मुसलमान महिलाओं को कानूनी का हथियार मिलाने वाला है। सूत्रों से मिल रही खबर के अनुसार तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार कानून बनाने पर विचार कर रही है।मोदी सरकार शीतकालीन सत्र में तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए विधेयक पेश कर सकती है। पिछले कुछ माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाते हुए सरकार को कानून बनाने की सलाह दी थी चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा था कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है,इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
हालांकि सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने माना कि यह पाप है,इसलिए सरकार को इसमें दखल देना चाहिए और तलाक के लिए कानून बनना चाहिए। दोनों ने कहा कि तीन तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया जाना चाहिए, इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा। खेहर ने यह भी कहा कि सभी पार्टियों को राजनीति को अलग रखकर इस मामले पर फैसला लेना चाहिए।
इसके पूर्व् तीन तलाक की सुनवाई करते हुए पिछले अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ के तीन जजों ने इसे असंवैधानिक बताया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा था कि इस मुद्दे पर संसद और केंद्र सरकार सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है और उन्हें इस पर कानून बनाना चाहिए। पूर्व चीफ जस्टिस ने ये भी कहा था कि सरकार को कानून बनाकर इस पर एक स्पष्ट दिशा निर्देश तय करने चाहिए। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इसके लिए केंद्र सरकार को छह महीने का समय भी दिया था। खेहर ने कहा था कि छह महीने तक के लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर तत्काल रोक लगाती है। इस अवधि में देशभर में कहीं भी तीन तलाक मान्य नहीं होगा। तीन जजों की बेंच जस्टिस यूयू ललित,जस्टिस फली नरीमन, जस्टिस जोसेफ कुरियन ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कहा था कि इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
बता दें कि सुप्रीमकोर्ट के द्वारा तीन तलाक को बैन करने के बाद भी तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में सरकार ने इस कुप्रथा के मुक्त कराने के लिए कानून लाने जा रही है। सरकार इस बिल के जरिए तीन तलाक देने वाले को सजा का प्रवाधान रखना चाहती है। ताकि तीन तलाक पर पूरी तरह से रोक लग सके।