इंदौर, मध्य प्रदेश में कम बारिश के कारण इस बार नर्मदा नदी आधी खाली रह गई है। इसका असर विद्युत सिंचाई और पेयजल परियोजना में होना तय माना जा रहा है।15 साल बाद नर्मदा नदी के पानी संग्रहण में भारी कमी देखने को मिली है। इससे पहले 2001 में नर्मदा का पानी कम हुआ था। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने चार राज्यों में नर्मदा जल के बंटवारे में भी कटौती करने का फैसला किया है।
4 राज्यों के पानी में लगभग 45 फ़ीसदी की कमी की जाएगी। सरदार सरोवर ओंकारेश्वर इंदिरा सागर बांध भी कम पानी के कारण पूर्ण क्षमता के साथ विद्युत उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। नर्मदा नदी की सहायक नदियां जिनमें तवा, हथिनी, कुंदी, वरनार सहित 20 से ज्यादा नदियां हैं। इन सहायक नदियों का जलस्तर भी काफी कम होने से इसका असर नर्मदा नदी पर भी पड़ रहा है। इंदिरा सागर बांध भी आधा ही भर पाया है। लगभग यही स्थिति सरदार सरोवर बांध की है।
नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार नर्मदा नदी में साल भर तक प्रवाह को बनाए रखने के लिए 8.6 एमएएफ पानी छोड़ना जरूरी है। बिजली उत्पादन हो या ना हो। लेकिन पेयजल और सिंचाई के लिए पानी छोड़ना अनिवार्य हैं। न्यायाधिकरण के अनुसार नर्मदा नदी में 27 एमएएफ़ पानी पूरे साल रहता है। लेकिन इस बार मात्र 17 एमएएफ से भी कम पानी नर्मदा नदी में है। जिसके कारण इस वर्ष मध्य प्रदेश को 18.25 एमएएफ, राजस्थान को 0.5 और महाराष्ट्र को 0.25 एमएएफ दिया जाता है। अब इसमें कटौती के बाद आधी हो जाएगी।