अशोकनगर,सरकारी स्कूृलों में मध्याह्न भोजन वितरण में शिक्षा एवं पंचायत विकास विभाग के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है और अधिकांश स्कूलों में बिना चखे ही मध्याह्न भोजन बांटा जा रहा है। जबकि पूर्व में कई बार दोपहर भोजन करने के बाद छात्रों के बीमार होने के कारण अधिकारियों और शिक्षकों को भोजन चखने के बाद ही छात्रों को बांटने के निर्देश दिए गए थे।
दोपहर भोजन योजना पूरे देश में संचालित की जाती है। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार दोनों एक निश्चित अनुपात में राशि मिलाती हैं। योजना का उद्देश्य छात्रों को पोस्टिक भोजन के साथ-साथ शिक्षा प्रदान करना है। जिले के सभी सरकारी स्कूलों में यह योजना लागू है। लेकिन योजना के तहत बनाए गए नियमों का पालन अधिकारी नहीं करवा पा रहे हैं। जिससे योजना कागजों में तो सुचारू रूप से संचालित होना बताई जा रही है लेकिन हकीकत इससे दूर है। ज्यादातर स्कूलों में न तो मीनू के अनुसार भोजन बांटा जा रहा है और न ही भोजन छात्रों को देने से पहले उसे नियमानुसार चखा जा रहा है।
ये हैं निर्देश
जबकि शिक्षा विभाग और पंचायत विकास विभाग के स्पष्ट निर्देश हैं कि स्वसहायता समूह द्वारा प्रदाय किए जाने वाले भोजन को पहले अधिकारी, शिक्षक चखें एवं संतुष्ट होने के बाद ही भोजन छात्रों को खाने के लिए दिया जाए। ताकि छात्र दूषित भोजन खाकर बीमार न पड़ें। स्वसहायता समूहों को भी निर्देशित किया गया है कि वे छात्रों को ताजा और रुचिकर भोजन ही प्रदान करें। भोजन बंद किचिन सेड में बनाया जाए एवं भोजन बनाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। लेकिन स्वसहायता समूह सस्ती सब्जियों का उपयोग भोजन बनाने में कर रहे हैं इसके अलावा सब्जीयों में मिर्च मसाले कम और पानी ज्यादा डाला जा रहा है। इस कारण छात्रों को न तो रुचिकर भोजन मिल रहा है और न ही पोस्टिक भोजन। शिक्षक भी इस भोजन को देखकर नाक-भौं सिकोड़ लेते हैं। मॉनीटरिंग न होने के कारण स्वसहायता समूह अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। दूसरी ओर जिन स्कूलों में शिक्षक स्वसहायता समूह द्वारा प्रदान किए जाने वाले भोजन की शिकायत करते हैं तो उस पर भी कार्रवाई नहीं होती है।