जबलपुर, शहर के ऐतिहासिक एम्पायर थियेटर को केन्ट बोर्ड ने कब्जे में लेने के बाद इसे खंडहर बना दिया। ऐतिहासिक थियेटर की आठ सौ से ज्यादा कुर्सियॉ भी गायब हो गयी हैं वहीं सिनेमा दिखाने वाली प्राचीनतम मशीनों का भी कहीं अता पता नहीं है।
आज जब जबलपुर शहर स्मार्ट सिटी बन चुका है तब एम्पायर थियेटर का खंडहर स्मार्ट सिटी के नाम पर बदनुमा धब्बा साबित हो रहा है और फिल्म अभिनेता स्व. प्रेमनाथ की धरोहर आंसु बहा रही है।
इधर,एम्पायर थियेटर के वैभवशाली इतिहास की जानकारी देते हुए मित्रसंघ के अध्यक्ष शेकटकर ने बताया है कि सन् १९१४ में निर्मित एम्पायर थियेटर का प्राचीन फोटो आज भी ब्रिटेश के एल्फ्रेड शेरक के वॉर एलबम में दर्ज है। इस थियेटर की दुर्लभ फोटो यह बता रही है कि एम्पायर थियेटर कितना खूबसूरत और वैभवशाली था। यह वह एम्पायर थियेटर है जो ब्रिटिश शैली में बना था जिसमें अर्द्धवृत्ताकार मंच पहले बना था जिसमें ब्रिटेन से आने वाले नाट्यदल नाटकों का मंचन किया करते थे। यहॉ शेक्सपियर के रोमियो एण्ड जूलियट और मेकबेश जैसे नाटक भी मंचित होते थे। बाद में एम्पायर थियेटर में मूक फिल्में भी प्रदर्शित होने लगी थी और एम्पायर थियेटर शहर का पहला इंग्लिश फिल्म दिखाने वाला थियेटर बन गया।
प्रेमनाथ ने मैनेजर से अपमानित होने के बाद थियेटर खरीदने की ठानी थी ……….
जबलपुर शहर में जन्मे मशहूर फिल्म अभिनेता स्व. प्रेमनाथ की मालकियत में एम्पायर थियेटर आने के बारे में मित्रसंघ के अध्यक्ष शेकटकर ने जानकारी जुटायी कि जब प्रेमनाथ किशोर थे तब वे एम्पायर थियेटर की दीवार को फांद कर सिनेमा देखने पहुँच गए थे, मैनेजर ने उनसे टिकिट की मांग की थी तो मैनेजर ने उनको अपमानित करके दीवाल फांद कर ही बाहर जाने को प्रेमनाथ से कहा तो प्रेमनाथ ने मैनेजर से कहा था कि देखना मैं बड़ा होकर तुम्हारे थियेटर को खरीद कर बताऊंगा।
स्व. प्रेमनाथ जब तक जीवित रहे तब तक एम्पायर थियेटर चलता रहा लेकिन उनके निधन के बाद यह थियेटर बंद हो गया। बाद में कानूनी दांवपेंचों को चलाकर केन्ट बोर्ड ने इस थियेटर को अपने कब्जे में ले लिया। कुछ समय बाद यह थियेटर खण्डर बन गया। मित्रसंघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद शेकटकर ने केण्ट बोर्ड के पदाधिकारियों से अपील की है कि स्व. प्रेमनाथ की अमूल्य धरोहर को पुन: खण्डर से उसका वैभवशाली रूप दिलाने के लिये रास्ता निकालें।