अहमदाबाद,एक महीने में तीसरे दौरे पर गुजरात पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करोड़ों रुपयों की योजनाओं की घोषणाएं की। रविवार को मोदी सबसे पहले भावनगर पहुंचे। पीएम मोदी ने भावनगर जिले में घोघा और भरूच में दाहेज के बीच 615 करोड़ रुपये की ‘रोल ऑन, रोल ऑफ (रो-रो)Ó नौका सेवा के पहले चरण का शुभारंभ किया। मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि नए संकल्प के साथ नए भारत, नए गुजरात की दिशा में अनमोल उपहार घोघा की धरती से पूरे हिन्दुस्तान को मिल रहा है। यह भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।
सड़क मार्ग से दोनों शहरों के बीच की दूरी 310 किलोमीटर है और इस नौका सेवा से यह दूरी घट कर 30 किलोमीटर रह जाएगी।
रो-रो फेरी के फायदे
मोदी ने कहा कि जिस सामान को सड़क के रास्ते ले जाने में डेढ़ रुपये का खर्च होता है, उसी सामान को जल मार्ग से ले जाने में 20-25 पैसे का खर्च आता है। सोचिए देश का कितना पेट्रोल-डीजल बचने जा रहा है, समय बचने जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि पर्यावरण के नाम पर रो रो फेरी सर्विस में अड़ंगा डाला गया था। उन्होंने कहा कि फेरी सर्विस को आने वाले समय में मुंबई तक ले जाएंगे। मोदी ने कहा कि रो रो फेरी सेवा 100 ट्रक अपने साथ लेकर जा सकेगा। अब सौराष्ट्र से दक्षिण गुजरात तक लोग समंदर के रास्ते जा सकेंगे। भावनगर के बाद मोदी बडोदरा पहुंचे और वहां रैली की।
राहुल का राजस्थान की भाजपा सरकार पर तंज
हम 21वीं सदी में हैं, यह 2017 है, 1817 नहीं
राजस्थान की भाजपा शासित वसुंधरा राजे सरकार अपने नये विवादित अध्यादेश को लेकर घिर गई हैं। इस पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वसुंधरा राजे पर निशाना साधते हुए कहा कि हम ‘2017’ में जी रहे हैं ना कि ‘1817’ में। उन्होंने एक खबर भी टैग की है, जिसका शीर्षक है कि कानूनी विशेषज्ञों की राय में राजस्थान का अध्यादेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है। खबर के मुताबिक इस अध्यादेश में पूर्वानुमति के बगैर कानूनी अधिकारियों और लोक सेवकों के खिलाफ जांच पर रोक का प्रावधान है और मीडिया को भी इससे रोका गया है। गौरतलब है कि सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में राजस्थान सरकार एक ऐसा बिल लाने जा रही है जो एक तरह से सभी सांसदों-विधायकों, जजों और अफ़सरों को लगभग इम्युनिटी दे देगा। उनके खि़लाफ़ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा। सीआरपीसी में संशोधन के इस बिल के बाद सरकार की मंज़ूरी के बिना इनके खि़लाफ़ कोई केस दर्ज नहीं कराया जा सकेगा। यही नहीं, जब तक एफआईआर नहीं होती, प्रेस में इसकी रिपोर्ट भी नहीं की जा सकेगी। ऐसे किसी मामले में किसी का नाम लेने पर दो साल की सज़ा भी हो सकती है।