इलाहाबाद,शहर में पिछले दिनो हुयी बहु जन समाज वादी पार्टी के उभरते नेता राजेश यादव हत्याकाण्ड का खुलासा करते हुए कर्नलगंज एवं क्राइम बांच की टीम ने मजार तिराहे पर रविवार को दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। पुलिस अधीक्षक नगर सिद्धार्थ शंकर मीणा ने जानकारी देते हुये बताया कि राजेश यादव को सुल्तानपुर के आकाश सिंह ने गोली मारी थी। हालांकि नामजद आरोपी डाक्टर मुकुल सिंह को अभी आरोप मुक्त नही किया गया है।
उन्होने बसपा नेता राजेश यादव हत्याकाण्ड का खुलासा करते हुये बताया कि पिछले २ अक्टूबर की रात हुई बहु जन समाज वादी पार्टी के उभरते नेता राजेश यादव कीr हत्या मामले में पकड़े गये अभियुक्तों में अंतेश प्रताप सिंह उर्फ जग्गा पुत्र गिरजाशंकर निवासी सरयभूपति थाना जेठवारा प्रतापगढ़ और आशुतोष सिंह पुत्र दिवाकर सिंह निवासी ढेमा थाना मानधाता प्रतापगढ़ है।
शहर में पिछले दिनो हुयी बहु जन समाज वादी पार्टी के उभरते नेता राजेश यादव हत्याकाण्ड की गिरफ्तारी के लिए इंस्पेक्टर कर्नलगंज अवधेश प्रताप सिंह, क्राइम ब्रांच के उपनिरीक्षक जितेन्द्र प्रताप सिंह, सिपाही विनोद सिंह, विनय राय, विजय श्रीवास्तव, अवनीश कुमार, विजय यादव, रविन्द्र सिंह, तरूण कुमार पाण्डेय, कमलेश यादव सीओ कर्नलगंज आलोक मिश्रा के नेतृत्व में काम कर रहे थे।
शहर में पिछले दिनो हुयी बहु जन समाज वादी पार्टी के उभरते नेता राजेश यादव हत्याकाण्ड की गिरफ्तारी के लिए इंस्पेक्टर कर्नलगंज अवधेश प्रताप सिंह, क्राइम ब्रांच के उपनिरीक्षक जितेन्द्र प्रताप सिंह, सिपाही विनोद सिंह, विनय राय, विजय श्रीवास्तव, अवनीश कुमार, विजय यादव, रविन्द्र सिंह, तरूण कुमार पाण्डेय, कमलेश यादव सीओ कर्नलगंज आलोक मिश्रा ने जब पूंछताछ करने के दौरान अंतेश ने बताया कि वह प्रतियोगी छात्र है। कमरा लेकर तैयारी करता है। वह छात्रनेता अर्पित सिंह के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए वहां गया था। छात्रावास के समीप राजेश यादव की कार अचानक सामने आ गई। जिससे छात्रों से विवाद हो गया । विवाद के दौरान राजेश यादव ने पहले गोली चलायी। इसके बाद छात्रों ने पत्थर बाजी करते हुये गोली चलायी। गोली चलाने के बाद सभी छात्र भाग निकले। वारदात के दूसरे दिन पता चला कि गोली राजेश यादव को लगी और उसकी मौत हो गई। जिससे वारदात के समय मौजूद सभी छात्र भाग निकले। वारदात के समय मौजूद सभी छात्र विश्वविद्यालय के छात्र नहीं थे । वारदात के समय मौजूद सभी छात्र विश्वविद्यालय के छात्र नही थे और न ही ताराचन्द्र छात्रावास में रहते थे। वे सभी बाहरी छात्र चुनाव प्रचार के लिए अर्पित सिंह के कार्यालय पर गये थे।