जबलपुर,दुनिया में अब हथियारों समेत दूसरे देशों के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को ध्वस्त करने पर केंद्रित लक्ष्य के साथ युद्ध लड़ा जाएगा। दूसरे शब्दों में, अगला युद्ध इलेक्ट्रो-कम्युनिकेशन एंड रडार सेंट्रिक होगा। दूसरी तरफ, भारत की आयुध निर्माणियां समय से बहुत पीछे चली गई हैं। इसलिए इन निर्माणियों को अपग्रेड करने के साथ ही देश में आधुनिक युद्धक तकनीकों को लाना आवश्यक है। मेक इन इंडिया के तहत अमेरिका, रूस, इजराइल जैसे देशों की प्राइवेट कंपनियों को भारत में लाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। इससे न सिर्फ हमारी युद्धक क्षमता बढ़ेगी बल्कि आधुनिक हथियारों के निर्यात से लाखों-करोड़ों का राजस्व भी मिलेगा। यह बात जबलपुर में आयुध निर्माणियों का निरीक्षण करने आए रक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने पत्रकारों से चर्चा में कही। उन्होंने आर्डनेंस फैक्टरी खमरिया (ओएफके) में स्वीडन की मदद से बनने वाले 84 एमएम के नए वर्जन का उद्घाटन भी किया। उन्होंने कहा, देश की किसी भी आयुध निर्माणी का निजीकरण या निगमीकरण नहीं किया जाएगा। किसी भी कर्मचारी को निकाला नहीं जाएगा। निर्माणियों के उत्पादों को कोर व नॉन-कोर ग्रुप में रखा गया है। इससे विशेष उत्पादों पर जोर रहेगा। आयुध निर्माणियां कोर ग्रुप में फोकस करेंगी।
व्हीकल फैक्टरी (व्हीएफजे) में अभी माइंस प्रोटेक्टिव व्हीकल बनाए जा रहे हैं। बाद में इनमें युद्धक टैंक बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा, जबलपुर की गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) में बनी ‘नुष तोप (155एमएम/45 कैलिबर गन) बोफोर्स तोप से बेहतर है। सेना अभी ट्रायल कर रही है। इसके बाद ही यह उसमें शामिल होगी।