नागदा, नागदा से 15 किलोमीटर दूर स्थित महू ग्राम में 1000 वर्ष पुरानी परमार कालीन की विष्णु के दशावतार की प्रतिमाएं गुफा में स्थापित है। ग्रामीणों ने गुफा के बाहरी हिस्से को मंदिर का स्वरूप दिया है। लेकिन गुफा के अंदर जाने पर प्राचीन युग का आभास होता है। गुफा के अंदर विष्णु के दशावतार की प्रतिमाएं हैं। जो पूर्ण रूप से असुरक्षित हैं। इन पर मिट्टी की परत जम रही है ।
प्राचीन कालीन महत्त्व की प्रतिमाएं होने के बाद भी इनके संरक्षण की कोई पहल अभी तक नहीं की गई है। पुरातत्व विभाग को भी इस गुफा में स्थापित मूर्तियों की जानकारी है।
अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के निर्देशक डॉक्टर आरसी ठाकुर के अनुसार महू में विष्णु के दशावतार की प्रतिमाएं घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां पुराना देवालय था। इसका विवरण कालिदास ने अपने महाकाव्य में भी किया है। औरंगजेब ने भी अपनी आत्मकथा में देव डूंगरी नामक स्थान का वर्णन कर 1658 में इस स्थान पर रुकने की बात लिखी है। इन मूर्तियों को समय रहते संरक्षित नहीं किया गया, तो पुरातत्व की दृष्टि से बहुत बड़ा नुकसान होगा।