वाराणसी,काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में ‘बढ़ती छेड़खानी’ के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर रही छात्राओं पर लाठीचार्ज के मामले पर शुरू हुआ छात्रों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को लंका स्थित बीएचयू गेट के बाहर सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच राजनीतिक दलों ने भी छात्रों के दमन की आलोचना की है। छात्रों के समर्थन में रविवार को बनारस आए कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर, पीएल पुनिया और पूर्व विधायक अजय राय को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बीएचयू में जारी आंदोलन के समर्थन में रविवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी प्रदर्शन किया। देहरादून में भी ऐसे ही प्रदर्शन किए जाने के समाचार हैं।
कांग्रेस, लेफ्ट सहित विभिन्न छात्र संगठनों ने भी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इस बीच वाराणसी पुलिस ने बीएचयू परिसर में हिंसक वारदात और शांति भंग के आरोपों के तहत 1200 अज्ञात छात्र-छात्राओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वहीं यूनिवर्सिटी कैंपस में लाठीचार्ज के लिए पहली नजर में दोषी पाए गए लंका थाने के इंचार्ज, भेलूपुर के सीओ और एक अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट को हटा दिया गया है। बीएचयू के बाहर छात्र-छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैंपस के अंदर 1500 से अधिक पुलिस बल तैनात किया गया है। साथ ही आसपास की दुकानों को एहतियातन बंद करा दिया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से हास्टल खाली कराने को कहा है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
बीएचयू में हो रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर विश्वविद्यालय में सोमवार से अवकाश घोषित कर दिया गया और अब नवरात्रों की छुट्टी के बाद छह अक्टूबर 2017 को विश्वविद्यालय खुलेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले पर आईजी पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। वहीं बीएचयू के कुलपति ने इस पूरे आंदोलन को बाहरी तत्वों की साजिश बताया है। प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा की छात्रों का हंगामा विश्विद्यालय को बदनाम करने की साजिश है। शनिवार रात को परिसर हिंसा में बाहरी लोग शामिल थे। उन्होंने कहा की उपद्रव की घटना बाहरी लोगों की देन है। हमारे विश्विद्यालय के छात्रावास में करीब 25 हजार छात्र रहते हैं और हमें इस बात की ख़ुशी है, वे उपद्रव में शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि विश्विद्यालय में बाहरी लोगों का प्रवेश तब से है, जब से विश्विद्यालय बना है।
अब हम कोशिश करेंगे की विश्विद्यालय परिसर में बाहर के लोगों का आना जाना बंद किया जाए। बता दें कि यूनिवर्सिटी परिसर में छात्राओं से ‘बढ़ती छेड़खानी’ की घटनाओं के खिलाफ यहां गुरुवार से ही छात्र-छात्राएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत तब हुई जब आर्ट्स फैकल्टी की एक छात्रा अपने हॉस्टल लौट रही थी उसी वक्त मोटरसाइकिल सवार तीन लोगों ने कथित तौर पर उसका उत्पीड़न किया। छात्रा के मुताबिक, जब उसने उन लोगों का विरोध किया, तो तीन लोगों ने उसके साथ गाली-गलौज की और उसके बाद भाग गए। महिला ने आरोप लगाया कि घटनास्थल से तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर मौजूद सुरक्षा गार्डों ने उन लोगों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।
इन छात्राओं का आरोप है कि उन्हें कैंपस में लगातार ही छेड़खानी का सामना करना पड़ता है और विश्वविद्यालय प्रशासन असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। ऐसे में यूनिवर्सिटी कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग को लेकर वे गुरुवार आधी रात को कैंपस के मेनगेट के पास ‘धरना’ पर बैठ गए। इन छात्राओं को शांत करने की कोशिश कामयाब नहीं होने पर पुलिस ने शनिवार रात छात्राओं पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज में छात्र-छात्राओं के साथ कई पत्रकारों को भी चोटें आईं।
BHU में लाठीचार्ज पर कई अफसरों पर कार्रवाई, 1200 अज्ञात छात्र-छात्राओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज
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