नई दिल्ली,पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुआई में बना कांग्रेस का जम्मू-कश्मीर समूह घाटी की मौजूदा समस्या के समाधान के सुझावों के साथ पिछले दो सालों में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से हुई चूकों की ओर भी इशारा करेगा। जम्मू में पिछले सप्ताह हुए संवाद के अपने पहले दौर के फीडबैक से उत्साहित कांग्रेस का यह समूह घाटी में शांति बहाली की अपनी इस पहल में कुछ ऐसे ठोस सुझाव देने की कोशिश भी करेगा, जिसकी अनदेखी करना केंद्र सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
मनमोहन की अगुआई में कांग्रेस का यह समूह शनिवार से श्रीनगर के दो दिन के दौरे पर है। पार्टी के इस उच्चस्तरीय समूह में शामिल सूत्रों के अनुसार जम्मू में पिछले सप्ताह राज्य के तमाम वर्गो के प्रतिनिधियों के साथ हुई चर्चा में आयी बातों से साफ है कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की अंदरुनी असहजता ने वहां के शासन पर प्रतिकूल असर डाला है। इसका अलगाववादियों और सीमा पार के आतंकी गुटों ने फायदा उठाया है।
घाटी में अलगाववादी तत्वों की बढ़ी सक्रियता और उपद्रवी हिंसा के संदर्भ में समूह का शुरूआती आकलन है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपनी और पीडीपी की सियासत बचाने की चिंता में उचित कदम उठाने से बचती रहीं हैं। वहीं केंद्र की एनडीए सरकार ने उपद्रवी हिंसा को बीते डेढ साल में केवल सुरक्षा और रणनीतिक चुनौती के नजरिये से देखा है। इसकी वजह से घाटी के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने की प्रक्रिया को न केवल गंभीर आघात लगा है बल्कि संवाद का सिलसिला भी टूट गया है।
कश्मीर पर कांग्रेस के नीति-निर्धारण समूह के इस सदस्य के मुताबिक केंद्र सरकार के स्तर पर घाटी से सीधा संवाद टूटना गंभीर चिंता की बात है। खासकर यह देखते हुए कि श्रीनगर में बीते डेढ साल में जारी उपद्रवी हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाओं में बड़ी संख्या में किशोर और युवा शामिल हुए हैं। इस लिहाज से कांग्रेस का यह भी मानना है कि घाटी की उपद्रवी हिंसा को केवल सुरक्षा चुनौती मानना केंद्र की बड़ी चूक रही है। जाहिर तौर पर कांग्रेस समूह इस चुनौती के मद्देनजर मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संवाद का दौर हर स्तर पर शुरू करने के सुझाव को अपनी सिफारिशों में शामिल करेगा।
श्रीनगर में अपने दो दिन के दौरे के क्रम में मनमोहन और उनके साथी घाटी के 50 से अधिक विभिन्न समूहों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर उनकी बात सुनेंगे। सूबे के हालात सुधारने पर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपने से पहले यह समूह लद्दाख का दौरा भी करेगा। मनमोहन के साथ पार्टी के कश्मीर समूह में पूर्व गृहमंत्री पी चिंदबरम, राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता डा कर्ण सिंह और प्रभारी महासचिव अंबिका सोनी शामिल हैं।