नई दिल्ली,नोटबंदी के दौरान सरकार को 21 हजार लोगों ने 4,900 करोड़ रुपए का कालाधन रखना स्वीकार किया है। लोगों ने यह संपत्ति प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत स्वीकार की है। नोटबंदी के बाद सरकार ने यह योजना चलाई थी। योजना के तहत लोगों को काला धन वापस करने का मौका दिया गया था। इसके लिए 50 फीसदी टैक्स और पेनाल्टी देनी थी। लोगों को आपराधिक कार्रवाई से बचने के लिए कहा गया था। नोटबंदी के बाद पिछले साल दिसंबर में शुरू की गई थी। यह योजना 31 मार्च 2017 को खत्म हो चुकी है। अब आयकर विभाग इस योजना के तहत ब्लैक मनी डिक्लेयर करने वाले कुछ लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहा है।
यह थी योजना
पिछले साल 8 नवंबर को नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के तहत एक हजार और पांच सौ के नोट बंद करने का ऐलान किया था। इसके बाद सरकार ने कहा था कि अगर कुछ लोगों के पास ब्लैक मनी है तो उनके लिए एक स्कीम लाई जाएगी। इसमें वो घोषित की गई रकम पर टैक्स और पेनाल्टी देकर बाकी पैसा अपने पास रख सकते हैं। योजना बंद होने के बाद राजस्व सचिव हसमुध अधिया ने कहा था कि स्कीम के नतीजे बहुत अच्छे नहीं मिले।
लोगों ने की चालाकी
अढिया ने बताया कि स्कीम के एलान होने के बाद लोगों ने अपने पैसों को अलग-अलग अकाउंट में जमा कर दिया।
क्या थी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
यह स्कीम 17 दिसंबर से शुरू हुई थी, जिसके कोई भी नागरिक अपनी अनडिक्लेयर्ड इनकम की जानकारी सरकार को दे सकता था। इसके तहत, 50 फीसदी पेनल्टी और टैक्स देना था। आईडीएस स्कीम के तहत यह 45 फीसदी था। अगर यह इनकम बैंक में जमा करा दी गई तो उसमें जमा 25 फीसदी रकम 4 साल के लॉक रहेगी। इस पर कोई ब्याज भी नहीं मिलना था।