नई दिल्ली, कृषि, सर्विस, मैन्युफैक्चरिंग, इंडस्ट्री जैसे सेक्टरों में रही गिरावट के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी दर तीन साल के निचले स्तर पर आ गई। गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.7 प्रतिशत रही है, जो तीन साल में सबसे कम है. पिछले वित्तवर्ष में इसी क्वार्टर में जीडीपी 7.9 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी थी।
सालाना आधार पर देखें तो 2018 की पहली तिमाही में जीवीए ग्रोथ 7.6 फीसदी से घटकर 5.6 फीसदी जबकि वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में जीवीए ग्रोथ 5.6 फीसदी रही थी। सालाना आधार पर 2018 की पहली तिमाही में कृषि सेक्टर की ग्रोथ 2.5 फीसदी से घटकर 2.3 फीसदी रही, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 10.7 फीसदी से घटकर 1.2 फीसदी और माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ -0.9 फीसदी के मुकाबले -0.7 फीसदी रही है। इसी तरह सालाना आधार पर 2018 की पहली तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ 3.1 फीसदी से घटकर 2 फीसदी, इंडस्ट्री की ग्रोथ 7.4 फीसदी से घटकर 1.6 फीसदी और सर्विसेस की ग्रोथ 9 फीसदी से घटकर 8.7 फीसदी रही है।
गौरतलब है कि जनवरी-मार्च क्वार्टर में भी नोटबंदी के कारण जीडीपी के नंबर गिरे थे और वह 6.1 प्रतिशत पर आ गया था। आर्थिक जानकारों का कहना है कि गुरुवार को आये जीडीपी के आंकड़े जीएसटी को लागू होने के लेकर अनिश्चितता व संशय की ओर इंगित करते हैं। क्योंकि इस साल एक जुलाई को देश में जीएसटी लागू हुआ है। याद रहे कि मार्च 2016 के बाद प्रत्येक तिमाही में जीडीपी के आंकड़े गिरे हैं. इस साल जनवरी-मार्च में ही भारत के जीडीपी नंबर में आयी गिरावट के बाद वह चीन के 6.9 प्रतिशत जीडीपी से नीचे हो गया था। जानकारों के मुताबिक इन आंकड़ों के बाद भारत का सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग लेकर आर्थिक मोर्चे पर बनना मुश्किल लग रहा है।