पाल, नगर निगम की परिवहन शाखा में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज को सौंप दी गई है। सूत्रों के मुताबिक जांच में सामने आया कि 56 फर्मों में से सिर्फ चार फर्मों से ही सबसे ज्यादा कुलपुर्जे (पार्ट्स) खरीदी की गई। इनके पते भी फर्जी पाए गए हैं। यानी यह फर्में वजूद में ही नहीं थीं। तीन सदस्यीय कमेटी ने 2051 फाइलों की जांच की। रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इन फर्मों के लिए जो फाइलें बनी उनमें एक ही गाड़ी में लगातार पार्ट्स बदले गए। एक ही पार्ट को बार-बार गाड़ियों में लगाया गए। खासबात ये है कि कलपुर्जे खरीदी के लिए टेंडर की जगह बार बार कोटेशन बुलाए गए। केंद्रीय कर्मशाला में जिन गाड़ियों का मेंटेनेंस किया गया उनके ड्राइवरों से वैरिफिकेशन नहीं कराया गया। गौरतलब है कि निगम कमिश्नर भारद्वाज ने 16 जुलाई को केंद्रीय कर्मशाला में छापामार कार्रवाई की थी। घोटाले की पड़ताल में यह भी उजागर हुआ कि गड़बड़ी का पता किसी को न चले इसलिए अफसर छोटी-छोटी रकम की फाइलें बनाते थे। इसी तरह बीते छह महीने में फाइलों पर 1 करोड़ 47 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। यानी एक फाइल पर करीब 7167 रुपए का ही काम होता था। जांच रिपोर्ट में पूरा फर्जीवाड़ा सामने आने पर अब इसमें लोपापोती भी शुरू कर दी गई है। बताया गया है कि करोड़ों के घोटाले में अभी निगम के हेड मैकेनिक को दोषी बताया जा रहा है। जबकि इस रकम की बंदर बांट नीचे से लेकर ऊपरी अफसरों तक पहुंचाने की चर्चाएं निगम में जारी है।