देहरादून,डेरा सच्चा सौदा मुखी गुरमीत राम रहीम के रेपकांड में जेल जाने के बाद उत्तराखंड के तराई व राजधानी में बिखरे समर्थक पूरी तरह भूमिगत हो गए हैं, अब शायद ही वे सामने निकलना पंसद करेंगे। जब से यह खबर सूत्रों के हवाले से छनकर बाहर आई है कि पंचकूला की सीबीआई अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने से पूर्व ही सड़कों पर जमा लोगों को रूपयों का लालच देकर एकत्र किया गया था। जिनके द्वारा राम रहीम को दोषी ठहराये जाते ही सड़कों पर कोहराम और यलगार के हालत पैदा कर दिए गए। जिससे न केवल पुलिस के छक्के छूट गए सेना को कमान संभालनी पड़ी तब जाकर कहीं हालात काबू में हो पाए। डेरा सच्चा सौदा के आश्रम हरियाणा के अलावा पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के तराई श्रेत्र में बताये जाते हैं। इसके अलावा सर्मथक भारत के तमाम राज्यों में फैले हुए बताए जाते हैं। कल (आज) सोमबार को रेपकांड के आरोपी राम रहीम को सात से दस (संभावित) वर्षों की सजा सुनाई जाने के बाद फिर से किसी प्रकार के उग्र प्रदर्शन या हिंसा को रोकने के लिए शासन-प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं। इस बारे में अदालत की कड़ी फटकार को भी काफी श्रेय दिया जा सकता है, जिसने हरियाणा राज्य और सीधे केन्द्र सरकार को इस बात के लिए जमकर फटकार लगाई कि वह राजनीतिक फायदे के लिए कथित श्रद्धालुओं के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रही है। इतना ही नहीं श्रद्धालुओं के लिए खान-पान की व्यवस्था का आश्वासन दे रही है, जबकि राम रहीम को रेपकांड में दोषी ठहराए जाते ही हिंसा व आगजनी में करीब 40 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा करोड़ों की निजी व सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। इसे देखते हुए कल सुनाए जाने वाले फैसले के लिए राम रहीम के बंदीगृह रोहतक में ही अस्थाई अदालत लगाने का निर्णय लिया गया है। जहां विशेष जब व चुनिंदा अदालती अमला हेलीकॉप्टर से पहुंगेगा। जहां तक पंचकूला की पुनर्रावृत्ति का सवाल है, वह अब शायद ही सामने आए। क्योंकि वास्तविक डेरा समर्थकों को यह बात तो अब समझ आ ही गई है कि उनके गुरू को सजा का ऐलान तो उसी दिन हो गया था जब उन्हें बलात्कार जैसे घिनौने अपराध के लिए दोषी माना गया। अब केवल औपचारिकता ही बाकी है। दंगे की अशंका भी इसलिएक कम बची है कि न तो फर्जी श्रद्धालु किसी लालचवश रोष का इजहार कर सकेंगे और उन्होंने ऐसी हिमाकत का जरा भी प्रयास किया तो सीधे चौकस सुरक्षाकर्मी उनकी ईंट से ईंट बजाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। जैसा कि देश के अन्य राज्यों में किसी प्रकार की हिंसा के न के बराबर आसार बचे हैं, वही हाल उत्तराखंड सूबे की तराई में भी नजर आएगा।