डोकलाम विवाद: भारत व जापान मिलकर देंगे चीन को कड़ा संदेश

नई दिल्ली, पहले भारत व अमेरिका के साथ मिलकर हिंद महासागर में बड़ा नौसैनिक अभ्यास और उसके बाद डोकलाम पर भारत का खुला समर्थन। जापान व भारत मिल कर चीन को कूटनीतिक संदेश देने का यह सिलसिला आगे भी जारी रखेंगे। अगले महीने जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे भारत के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता के लिए आएंगे तो दोनो देशों के बीच श्रीलंका और ईरान में दो बंदरगाहों के निर्माण में सहयोग पर बात होगी। ये चीन की तरफ से दक्षिण एशिया में बनाये जा रहे दो बड़े बंदरगाहों के बिल्कुल करीब हैं। श्रीलंका में त्रिंकोमाली बंदरगाह और ईरान के चाबहार एयरपोर्ट के विकास पर भारत व जापान के बीच पहले भी बात हुई है, लेकिन इस बार इसे ज्यादा ठोस तौर पर आगे बढ़ाया जाएगा।
अप्रैल, 2017 में ही दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें एशिया, अफ्रीका में भी ढांचागत परियोजनाओं को संयुक्त तौर पर विकसित करने की बात थी। उस समझौते के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के प्रधानमंत्री से मिल रहे हैं। एबे की यात्रा की तैयारियों में जुटे अधिकारियों का कहना है कि दूसरे देशों में संयुक्त तौर पर बंदरगाह और सड़क विकास परियोजना दोनो नेताओं के बीच होने वाली बातचीत में प्रमुख होगा।
मोदी और एबे के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर पिछले वर्ष शुरुआती बातचीत हुई थी। उसके बाद दोनो देशों के संबंधित मंत्रालयों की तरफ से सहयोग का रोडमैप तैयार किया गया है। इस पर सितंबर में होने वाली बैठक के बाद अंतिम रूप दिया जा सकता है। गौरतलब है ‎कि चाबहार पोर्ट चीन की तरफ से पाकिस्तान में बनाये जा रहे ग्वादर पोर्ट से कुछ ही दूरी पर होगा। कुछ ही हफ्ते पहले भारत के जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी अफगानिस्तान गये थे। गडकरी ने 18 महीने में पोर्ट के पहले चरण का काम पूरा करने की बात कही है। जापान के आने से पोर्ट निर्माण के लिए वित्त का प्रबंधन ज्यादा आसानी से हो सकेगा।

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