जनता के बीच रहो काम करो, हर सुविधा तो नतीजे भी आएं -शाह

भोपाल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी तीन दिनी यात्रा के पहले दिन की बैठकों में जो फीडबैक लिया है,उसके बाद यह साफ़ हो गया है कि कार्यकर्ताओं के मन में संगठन मंत्रियों और सरकार में शामिल मंत्रियों को लेकर गहरी नाराजगी है। इसी नाराजगी के बीच आने वाले डेढ़ सालों में पार्टी को दो चुनाव पहले मध्यप्रदेश की विधानसभा और फिर लोकसभा का चुनाव लड़ना होगा।
यह नाराजगी कहीं और न बढ़ने पाए और इससे चुनाव में नुकसान न होने पाए उससे बचने की यह पूरी इसकी कवायद ज्यादा प्रतीत हो रही है। आने वाले दिनों में जबलपुर में इसी अवधि में हो रही आरएसएस की समन्वय बैठक और पिछले दिनों मंत्रियों और संगठन से जुड़े लोगों से प्रश्नावली के आधार पर लिए गए फीडबैक से संभवतः सरकार और संगठन में बदलाव की रुपरेखा तैयार हो जाएगी। इसी लिए भाजपा में अब कार्यकर्ता केंद्रित व जनमुखी शासन की बात शुरू की गई है। लगता है, इस कवायद से पहले कुछ परिवर्तन को लेकर शाह-मोदी ने मन बनाया है अब तीन दिन की बैठक के संघ की सहमति से उसे अंजाम दिया जायेगा। दो बातें आज खास रही हैं पहले प्रदेश मुख्यालय की बैठक में फिर भोजन अवकाश के समय कुछ गिने-चुने पत्रकारों के बीच शाह ने साफ़ किया की एमपी के चुनाव शिवराज के नेतृत्व में ही लडे जायेंगे। शाह ने शुक्रवार को भाजपा नेताओं के साथ 6 बैठकें की। शुक्रवार को ही शाह तीन दिन के प्रवास पर आए हैं। पार्टी, संगठन को मजबूत बनाने के उद्देश्य से सभी राज्यों का दौरा करने निकले शाह ने रात को मंत्रिमंडल की बैठक ली। बैठक के दौरान शाह काफी गुस्से में दिखाई दिए। रात में मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान शाह ने कहा कि सभी मंत्रियों को 13 साल की सरकार के दौरान किए गए सभी कार्यों का लेखा जोखा तैयार करें। निगम मंडल के अध्यक्षों पर गुस्सा होते हुए शाह ने कहा कि अध्यक्ष बेहतरी के साथ काम करें, नहीं तो उन्हें घर बैठा दिया जायेगा। सभी सुविधाएं होने के बाद भी यह लोग अच्छा परिणाम क्यों नहीं मिल रहे। शाह ने कहा कि प्रदेश के कई मंत्रियों और निगम मंडलों के अध्यक्षों पर धांधली के गंभीर आरोप लगे हैं।
शाह ने कहा कि 2018 के चुनाव तभी जीता जा सकेगा, जबकि नेताओं की जनता में अच्छी पैठ होगी। शाह ने मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य दिया। वहीं, केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 2019 के चुनाव में लोकसभा की सभी 29 सीटें भाजपा ही जीतेगी। वे सुबह से ही सख्त तेवर के साथ पार्टी नेताओं के सामने पेश आए। शाह के मंच पर पहुंचते ही मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार चौहान ने स्वागत की औपचारिक परंपरा शुरू कर दी। इस बीच, शाह ने कहा कि आप भूमिका न बनाएं जल्द से जल्द बैठक प्रारंभ करें। शाह बोले- मध्य प्रदेश में स्वागत कराने और भाषण सुनने नहीं आया हूं।

दोपहर बाद फिर लगाई क्लास
संयुक्त बैठक में केन्द्रीय व प्रदेश पदाधिकारी, कोर ग्रुप के सदस्य, प्रवक्ता, मंत्री, सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष, संभागीय संगठन मंत्री और मोर्चा-प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी मौजूद थे। इस दौरान कुछ पदाधिकारियों, विधायक-सांसदों ने सुझाव और समस्याएं भी बताईं। बैठक में किसानों का मामला भी उठा, आवारा पशुओं के चलते हाईवे पर लगने वाले जाम की चर्चा भी हुई। दोपहर बाद शाह ने दूसरे सत्र की बैठक में भी नेता-पदाधिकारियों की क्लास लगाई। बैठक में प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, महामंत्रीद्वय अनिल जैन, कैलाश विजयवर्गीय, उपाध्यक्ष प्रभात झा एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते सहित अनेक पदाधिकारी भी मौजूद थे

निकाय के जनप्रतिनिधियों का गुस्सा फूटा
शाह के साथ चर्चा के दौरान जिलों से आए अध्यक्षों व जनप्रतिनिधियों ने अपना दर्द बयान किया। अध्यक्षों ने शाह से कहा कि छोटे-छोटे अफसर भी हमारी नहीं सुनते। सारे अधिकार कलेक्टर को दे दिए गए हैं। ऐसे में हम कार्य नहीं कर पाते। हमारे अधिकार बढ़ाए जायें। वहीं, अमित शाह ने कहा कि जनप्रतिनिधि जो भी कार्य करें, उसका श्रेय खुद न लें, संगठन को भी विकास कार्यों में शामिल करें। सरकारी योजना का लाभ हर इंसान को मिले यह भी ध्यान रखा जाये।

जिलों में संगठन कोष बनाएं, ईमानदारी का पैसा चाहिए
शाह ने मंत्री, सांसद,विधायक और पदाधिकारियों को अनुशासन के साथ पार्टी को सशक्त बनाने के नसीहत दी। उन्होंने यह भी कहा कि कामकाज में पारदर्शिता जरूरी है, संगठन चलाने के लिए भाजपा को कालाधन नहीं ईमानदारी का पैसा चाहिए। संगठन मजबूत करें अगले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में हमें मौजूदा से ज्यादा सीटें जीतना है। स्वागत के दौरान भाजपा दफ्तर में धक्का-मुक्की भी हुई, केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं थावरचंद गहलोत भी भीड़ में फंसे रहे। भाजपा कार्यालय में आयोजित अपनी पहली ही बैठक में शाह ने तल्ख अंदाज में सभी को इस बात की हिदायत दे डाली कि बैठक की बातें बाहर बिल्कुत न जाएं। मीडिया से कोई चर्चा न करें उन्होंने कहा कि यहां केवल संगठन की बातें होंगी। शाह ने कहा कि जिलों में संगठन का मजबूत कोष भी बनाएं जिससे पार्टी का कामकाज आसानी से चलता रहे। इस मामले में जिन राज्यों और जिलों में अच्छा काम हुआ है उनका उदाहरण भी दिया।

एक नजर में क्या है खास
– शाह की क्लास में पुचकार के साथ फटकार
– निकाय मंडल के अध्यक्षों को लगाई फटकार
– मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ की बैठक
– अधूरे कार्यों एवं भ्रष्टाचार की शिकायतों पर तमतमाए शाह
-शाह ने कहा- संगठन को मजबूत बनाएं, मंत्रियों की लापरवाही नहीं चलेगी
– भाजपा कार्यालय में 5 बैठकें लीं, दो अन्य कार्यक्रम में भी शामिल हुए
– कृष्णा गौर को नहीं उतारने दी आरती, बाजू से निकल गए
– सुरक्षा की पोल खुली, कार्यक्रम स्थल से एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश गिरफ्तार
– बाबूलाल गौर बैठक बोलना चाह रहे थे, लेकिन शाह ने उन्हें भी रोक दिया
– दोपहर और शाम को हुई बारिश से खुली व्यवस्थाओं की पोल, परिसर में घुसा पानी
– लक्जरी व्यवस्थाओं पर लाखों खर्च पर रामलाल हुए लाल, बोले-बड़ी जतन से सरकार बनती है आयोजनों पर ऐसे पैसे न बहाएं
– कई नेताओं ने दबी जुबान से कहा- शाह ने कहा है, मीडिया में मुंह न खोलें
– नरोत्तम मिश्रा के घर दोपहर का भोजन भी किया
– युवा मोर्चा और महिला मोर्चा के प्रतिनिधि आपस में भिड़े, एक दूसरों को गालियां भी दीं
– युवा मोर्चा अध्यक्ष अभिलाष पांडे को महिला प्रतिनिधियों ने कसी टांट- दूल्हा बनकर आए थे अभिलाष

शाह के काफिले में भगदड़, केंद्रीय मंत्री दबे
अमित शाह के काफिले ने जैसे ही प्रदेश कार्यालय के स्वागत द्वार में प्रवेश किया। भाजपा कार्यालय के बाहर भगदड़ मच गई। शाह के स्वागत में खड़ी कई महिला कार्यकर्ता नीचे गिर गईं। भीड़ में केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत भी दब गए। कार्यकर्ताओं ने उन्हें बाहर निकाला। ऐसा पहली बार हुआ जब भाजपा के किसी आयोजन में इस तरह से व्यवस्था बिगड़ी।
काम ज्यादा, प्रचार कम करें
शुक्रवार रात को समन्वय भवन में एक कार्यक्रम में जिलों से आए अध्यक्ष, महापौरों को कहा कि आप जो भी काम करें उसमें संगठन को शामिल करें। जो भी काम करें उसमे सिर्फ अपना ही प्रचार में ध्यान न लगाएं।

सत्ता का रंग न चढऩे दें, जनता के बीच जायें, अपने प्रचार से बचें
शाह ने भोपाल में विधायकों, सांसदों को हिदायत देते हुए कहा कि राजनीति में आने के बाद नेताओं पर सत्ता का रंग चढ़ जाता है। जिससे जनता के बीच दूरी बढ़ जाती है। सांसद और विधायक अधिक समय अपने क्षेत्र में बिताएं। शाह ने संकल्प दोहराते हुए कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में 350 सीट का लक्ष्य पाना है। उन्होंने नंदकुमार चौहान की 200 विधानसभा सीट के लक्ष्य पर काम करने को कहा।

तीन साल में 5 लाख करोड़ यूपीए सरकार ने इतने सालों में क्या दिया ?
शाह ने मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को उनके पत्र पर जवाब दिया है। शाह ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश के विकास के लिए और मध्यप्रदेश की जनता के कल्याण के लिए मात्र 3 साल में 5 लाख करोड़ की धनराशि दी है। जिससे यहां के जीवन स्तर में उत्तरोत्तर सुधार आ रहा है। लेकिन क्या अजय सिंह के पास इस बात का कोई जवाब है कि यूपीए सरकार ने इतने वर्षो तक मध्यप्रदेश के लिए क्या किया ?
उल्लेखनीय है कि अजय सिंह ने भाजपा अध्यक्ष के मध्यप्रदेश के दौरे को लेकर एक पत्र के माध्यम से यह सवाल पूछा था कि केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश के कल्याण के लिए क्या किया है ? शाह ने आज प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन में इस पत्र पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता को सीधे सीधे कठघरे में खडा कर दिया।
शाह ने कहा कि हम राजनीति में केवल चुनाव जीतने के लिये नहीं आये। केन्द्र में हमारी सरकार बनने के बाद तीन साल में 50 ऐसे काम हुए हैं, जबकि पहले की सरकारों में 50 साल में गिनाने लायक सिर्फ 3 काम होते थे। श्री शाह ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन जैसे बुनियादी काम दृढ-निश्चय से होते हैं। नोटबंदी ऐसा ही एक बुनियादी कदम है, जो भ्रष्टाचार के खात्मे में एक कारगर अस्त्र साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि जन-धन योजना में गरीबों के 29 करोड़ खाते खोले गये हैं। उज्जवला योजना में महिलाओं को 2 करोड़ 80 लाख गैस कनेक्शन निःशुल्क उपलब्ध कराये गये हैं। स्वच्छता अभियान में देश में अब तक 450 करोड़ शौचालय बनाये गये हैं। शाह ने कहा कि इन सब कदमों से यह जाहिर होता है कि सरकार उसके लिये होती है, जिसके जीवन में अंधेरा होता है।

कांग्रेस बोली- संवेदनहीन हैं शाह, नहीं करेंगे मुलाकात
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा की सत्ता और संगठन में चल रहे घोटालों का खुलासा करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से समय मांगा था, लेकिन जबसे अखबारों में गोरखपुर में 64 बच्चों की मृत्यु पर दिए गए उनके बयान को पढ़ा है, इसके बाद मैंने तय किया कि ऐसे संवेदनहीन और विपक्ष के प्रति असम्मान का भाव रखने वाले व्यक्ति से मिलने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने अमित शाह के गोरखपुर हादसे पर दिए बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा थ कि तने बड़े देश में ऐसे हादसे होते रहते हैं। साथ में उन्होंने जोड़ा कि विपक्ष तो इस्तीफा मांगते रहता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *